महाराष्ट्र के पुणे में 'बर्गर किंग' नाम से चल रही दुकान इस नाम का इस्तेमाल जारी रखेगी. पुणे की अदालत ने 13 साल से चल रही इस कानूनी लड़ाई में जो फैसला सुनाया है, वो इस स्थानीय दुकान के पक्ष में गया है.
1954 में स्थापित अमेरिकी वैश्विक फूड चेन कंपनी 'बर्गर किंग' (Burger King Corp.) ने इस नाम के इस्तेमाल को लेकर पुणे की दुकान के खिलाफ मुकदमा दायर किया था. इसने बर्गर किंग नाम के इस्तेमाल पर रोक और मुआवजे की मांग की थी. अदालत ने 16 अगस्त को इस मामले को खारिज कर दिया.
ट्रेडमार्क के उल्लंघन का दावा
बर्गर किंग,1954 से इस नाम का इस्तेमाल कर रही है और ये भारत सहित 122 से अधिक देशों में रजिस्टर्ड है. 2011 में जब इसे पता चला कि पुणे में एक ईरानी दंपती अपने बर्गर ज्वाइंट के लिए 'बर्गर किंग' नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं, तब इसने मुकदमा दायर किया.
बर्गर किंग ने दावा किया कि ये उनके ट्रेडमार्क का उल्लंघन है. इसने कोर्ट से पुणे स्थित लोकप्रिय बर्गर जॉइंट को नाम का उपयोग करने से रोकने और हर्जाना देने की मांग की.
ईरानी दंपती ने क्या तर्क दिए?
पुणे में दुकान चला रहे ईरानी दंपती ने तर्क दिया कि अमेरिकी कंपनी के इस ग्लोबल चेन के भारत में प्रवेश करने से काफी पहले से ही (1992 से ही) वे 'बर्गर किंग' नाम का उपयोग कर रहे हैं. उन्होंने ये भी दावा किया कि उस समय भारत में बर्गर किंग को जाना नहीं जाता था.
उन्होंने कहा कि उनका इरादा किसी की नकल करने या उसे गुमराह करने का नहीं था और उनके रेस्तरां और अंतरराष्ट्रीय ब्रैंड के बीच कोई भ्रम नहीं है.
दंपती ने अमेरिका स्थित फास्ट फूड चेन के खिलाफ जवाबी दावा करते हुए 20 लाख रुपये का मुआवजा मांगा, जिसमें तर्क दिया गया कि बर्गर किंग की कानूनी कार्रवाइयों के चलते उनके व्यवसाय को नुकसान पहुंचा है.
सबूतों की कमी, पक्ष में गया फैसला!
कोर्ट ने पाया कि दोनों ही पक्षों ने नुकसान के लिए अपने दावों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं दिए. अमेरिका स्थित बर्गर किंग द्वारा पुणे के दंपती को एक ही नाम का उपयोग करने से रोकने के अनुरोध पर भी सबूतों की कमी के कारण सहमति नहीं बन पाई. ऐसे में 13 साल पुरानी लड़ाई खत्म हो गई और पुणे के फेमस ज्वाइंट को 'बर्गर किंग' नाम का इस्तेमाल करने की स्वतंत्रता मिल गई.