कठिन वक्त आने पर निवेशकों ने साथ छोड़ा, आक्रामक ग्रोथ रही बड़ी गलती: बायजू रवींद्रन

कठिन वक्त आने पर पीक XV पार्टनर्स, प्रोसस और चेन जकरबर्ग इनीशिएटिव के प्रतिनिधियों ने कंपनी के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था, इससे कंपनी की वैल्यू जीरो हो गई: बायजू रवींद्रन

Source: Company Website

संकट में फंसी बायजूज (Byju's) के फाउंडर बायजू रवींद्रन (Byju Raveendran) ने कहा कि कठिन वक्त आने पर कंपनी के बोर्ड के 3 सदस्यों के इस्तीफों से फर्म के हालात खराब हुए थे. इससे कंपनी की वैल्यू $22 बिलियन से घटकर जीरो पर पहुंच गई.

ये लोग निवेशकों के प्रतिनिधि भी थे. बायजूज ने कहा कि निवेशकों के दबाव में ही आक्रामक ग्रोथ के लिए पुश कंपनी की बड़ी गलती साबित हुई.

रवींद्रन ने बोर्ड के सदस्यों को ठहराया जिम्मेदार

रवींद्रन ने कहा कि मई 2023 के आखिर तक आते-आते कर्जदाताओं ने डिफॉल्ट का हवाला देते हुए डेलावेयर में मुकदमा दायर कर दिया. एक महीने बाद बोर्ड के तीन सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया. कर्जदाताओं को भी इसकी उम्मीद नहीं थी. इसकी वजह से फंड जुटाना असंभव हो गया. अगर वो योजना बनाते और उसके बाद इस्तीफा देते, तो आज कंपनी जिस हालात में है, वहां नहीं पहुंचती.

जून 2023 में मुख्य निवेशकों का प्रतिनिधित्व करने वाले 3 निदेशकों ने बायजूज के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था. पीक XV पार्टनर्स के GV रविशंकर, प्रोसस के Russell Dreisenstock और चेन जकरबर्ग इनीशिएटिव के Vivian Wu ने बायजूज की पेरेंट कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था.

बायजूज ने कहा कि कंपनी ने अगले 2-3 सालों में संभावित ग्रोथ का जरूरत से ज्यादा अनुमान लगाया था, कंपनी यहीं चूक गई, लेकिन यहां भी निवेशकों ने ही एग्रेसिव ग्रोथ के लिए दबाव बनाया था. रवींद्रन ने कहा कि हमने एकसाथ बहुत से बाजारों में प्रवेश किया. हमारी सभी अधिग्रहण और ग्रोथ की योजनाओं को 6-0 की वोटिंग के साथ मंजूरी मिली.'

संकट में निवेशकों ने साथ छोड़ा: रवींद्रन

बायजूज के फाउडंर ने कहा कि कुछ निवेशकों ने काफी पैसे बनाए. पीक XV ने बेहद कम समय में $50 मिलियन के निवेश पर करीब आठ गुना निवेश कमाया. उनका मत एकसाथ 40 बाजारों में एंट्री का था. वैल्यूएशन में इस ग्रोथ से असल में लाभार्थी कौन हैं. अब मैं 7,500 करोड़ रुपये से जीरो पर आ गया हूं.

बायजू ने कहा कि 'कोई रिटर्न के बारे में बात नहीं करता. संकट के समय में ये लोग बोर्ड से भाग गए. अच्छे समय में उन्होंने पैसा लगाया, लेकिन बुरे समय में ऐसा नहीं किया. हमने निवेशकों को रिटर्न में करीब $2 बिलियन दिए. अगर हमारे पास ऐसे निवेशक होते जिन्होंने बड़ी कंपनियों को देखा होता तो ये बहुत मददगार होता. अगर हमारे पास मोहनदास पई जैसे लोग पहले होते तो अच्छा होता क्योंकि उन्होंने भारत में भी स्केलिंग देखी है.'

उन्होंने कहा, 'अच्छे समय में निवेशक कारोबार को बढ़ाकर $100 बिलियन करना चाहते हैं. उन्होंने छात्रों के बारे में बिल्कुल चिंता नहीं की. उनके लिए सिर्फ वित्तीय रिटर्न अहम थे. मुझे व्हाइटहैट जूनियर के लिए अधिकतम सपोर्ट और आकाश के लिए अधिकतम रेजिस्टेंस मिली.'

मैं वापसी करूंगा: बायजू रवींद्रन

जो लोग कारोबार चलाते हैं और जो सिर्फ एक्सल शीट पर काम करते हैं, उनमें बड़ा अंतर दिखता है. उन्होंने ये भी सफाई दी कि मौजूदा समय में रवींद्रन परिवार के पास थिंक एंड लर्न प्राइवेट में 26% से ज्यादा हिस्सेदारी है. उन्होंने कहा कि फंड डालने के बाद इसमें बड़ा इजाफा हुआ है. मैं आज आंकड़े को बताना नहीं चाहता.

सब्सिडियरी आकाश में रंजन पई की शेयरहोल्डिंग 40% पर होगी और बाकी 60% परिवार के पास होगी. एक बार निवेशकों के साथ शेयर स्वैप पूरा होने के बाद रवींद्रन की निजी हिस्सेदारी 16% होगी. उन्होंने कहा कि ब्लैकस्टोन-चौधरी के साथ डील का शेयर स्वैप हिस्सा पूरा नहीं हुआ है. लेकिन उन्हें इसे पूरा करना होगा. सिंगापुर ट्रिब्यूनल हमारे पक्ष में फैसला देगा.

उन्होंने आगे कहा कि 'NCLAT का जो भी आदेश आता है, मैं रास्ता खोज लूंगा. दुनिया में ऐसी कोई मुश्किल नहीं है जिसका समाधान नहीं किया जा सकता है. मैं समयसीमा नहीं देना चाहता लेकिन मैं वापसी करूंगा. वापसी का मतलब ये नहीं है कि मैं $20 बिलियन की कंपनी बनाऊंगा.'

कंपनी धोखेबाज नहीं: बायजू रवींद्रन

रवींद्रन ने दोहराया कि कंपनी धोखेबाज नहीं है. हमने जानबूझकर कोई गलती नहीं की है. कोई फ्रॉड नहीं है. अगर फ्रॉड होता तो फाउंडर्स पैसा निकाल लेते, कंपनी में अपना सारा पैसा नहीं डाल देते.

रवींद्रन ने आगे कहा, 'मैं कहीं भाग नहीं रहा हूं. अगर हमें भागना होता तो हम ये लंबे समय पहले कर चुके होते. ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोग सोचते हैं कि मैं भारत से भाग चुका हूं. मैं चार साल पहले निजी वजहों से दुबई आया था. ये पिता के स्वास्थ्य कारणों से था.'

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