कुछ एनालिस्ट्स का मानना है कि इस वित्त वर्ष के खत्म होने से पहले सीमेंट फर्म्स कीमतों में इजाफा कर सकती हैं. लेकिन क्या वे इस बढ़ोतरी को बरकरार रख पाएंगी या नहीं, इसे देखने के लिए इंतजार करना होगा. डिमांड रिकवरी और इंडस्ट्री कंसोलिडेशन इसे प्रभावित करने वाले कुछ अहम फैक्टर्स हो सकते हैं.
सीमेंट कंपनियों के साथ बातचीत करने वाली ब्रोकरेजेज का कहना है कि पूरे भारत में सीमेंट डीलर्स इस वित्त वर्ष के दूसरे हाफ में कीमतें बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन ऐसी कुछ चीजें है जिनसे सीमेंट प्राइस रिकवरी में बाधा आ सकती है. जिससे उनका मुनाफा प्रभावित हो सकता है.
कितनी बढ़ी कीमतें?
जेफरीज का मानना है कि दाम में 3-4% की तेजी आएगी और एक बैग पर 8-12 रुपये का इजाफा हुआ.
JP मॉर्गन ने माना कि पूरे भारत में सीमेंट बैग पर 5 से 50 रुपये तक कीमतें बढ़ी हैं. ज्यादा इजाफा दक्षिण और पूर्वी क्षेत्रों में हुआ है.
CLSA का कहना है कि दिसंबर में पूर्वी भारत में 20-30 रुपये इजाफा हुआ है, जबकि मध्य भारत में 10 रुपये/बैग का इजाफा देखा गया है.
वो फैक्टर्स जो कीमतों में इजाफे को टिकाऊ बनने से रोक सकते हैं:
मांग का ना बढ़ना
सीमेंट की मांग में तेज वृद्धि पर 2024 में भारी मॉनसून, कमजोर मांग और चुनावों के चलते विराम लग गया. नुवामा रिसर्च के मुताबिक नवंबर 2024 में सीमेंट मांग त्योहारों, श्रमिकों की कमी और खराब मौसमी स्थितियों के चलते कमजोर बनी रही, लेकिन दिसंबर 2024 में इसमें उछाल आने की संभावना है.
एनालिस्ट्स का अनुमान है कि सरकारी खर्च वापस बढ़ेगा, जिससे फिस्कल ईयर के दूसरे हाफ में मौजूदा मांग में तेजी आएगी. JP मॉर्गन का कहना है कि अगर मांग में इजाफा नहीं होता, तो सीमेंट के बढ़े हुए दामों को वापस लिया जा सकता है.
इंडस्ट्री, प्राइस के बजाए वॉल्यूम को दे रही है प्राथमिकता
जेफरीज के मुताबिक, सीमेंट डीलर्स का कहना है कि कंपनियों ने दाम बढ़ाने की मंशा दिखाई है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में कुछ लोग इस अनुशासन को तोड़ते नजर आ रहे हैं.
जेफरीज के मुताबिक कुछ कंपनियों में कम दाम पर ज्यादा मात्रा में उत्पादन पर जोर है. ताकि ज्यादा मार्केट शेयर पर कब्जा किया जा सके और साल भर के वॉल्यूम टारगेट को हासिल किया जा सके. इससे प्राइसिंग में ठोक रिकवरी को नुकसान होता है. इसलिए इंडस्ट्री को इस स्थित पर करीब से नजर रखनी होगी.
इंडस्ट्री कंसोलिडेशन
नुवामा, मॉर्गन स्टैनली और जेफरीज का मानना है कि प्रतिस्पर्धा और तेज करने और क्षमता को तेजी से बढ़ाने के चलते इंडियन सीमेंट इंडस्ट्री में दाम बहुत ज्यादा नहीं बढ़ेंगे.
प्राइस रिकवरी की अहमियत
डिमांड रिकवरी सीमेंट प्लेयर्स के लिए पॉजिटिव फैक्टर है. वॉल्यूम में 1% बदलाव सीमेंट कंपनियों के औसत EBITDA में 1-2% तक बदलाव कर सकता है. इसलिए प्राइस में सुधार कंपनी को मुनाफा कमाने के लिए ज्यादा जरूरी है. जेफरीज ने बताया है कि भाव में 1% बदलाव भी EBITDA में 4-5% बदलाव ला सकता है.
कौन सी सीमेंट कंपनियां बेहतर स्थिति में हैं
मॉर्गन स्टैनली के मुताबिक पूरे भारत में फ्रेंचाइजी के जरिए पहुंच रखने वाली और कॉस्ट-इंप्रूविंग क्षमता वाली कंपनियां बेहतर स्थिति में हैं.
अनुमान के मुताबिक अंबुजा सीमेंट और अल्ट्राटेक सीमेंट 2025 में अपने घरेलू प्रतिस्पर्धियों से बेहतर प्रदर्शन करेंगी.
JP मॉर्गन ACC को प्राथमिकता देता है, क्योंकि इसका वैल्यूएशंस और दक्षिण भारत में कीमतों में बदलाव बेहतर है. फर्म अल्ट्राटेक सीमेंट को भी इसके कंसोलिडेशन पर फोकस होने के चलते प्राथमिकता देती है.