कोचीन शिपयार्ड (Cochin Shipyard) ने एक साथ 3 कॉर्वेट (छोटे युद्धपोत) लॉन्च किए. कोचीन शिपयार्ड ये वॉरफेयर शिप अब भारतीय नौसेना को सौंपेगी. कोचीन शिपयार्ड को 2019 में 5,500 करोड़ रुपये से अधिक के आठ कॉर्वेट के ऑर्डर मिले थे. शिपयार्ड अपने 22,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर बुक को समय पर पूरा करना चाहती है.
'आक्रामक बोली के बावजूद मुनाफा हुआ'
कोचीन शिपयार्ड के प्रेसिडेंट और MD मधु नायर ने कॉर्वेट के लॉन्च के मौके पर BQ Prime को बताया कि ये प्रोजेक्ट आसान नहीं था क्योंकि बोली प्रक्रिया यानी बिड 2014 में शुरू हुई थी और अप्रैल 2019 में कॉन्ट्रैक्ट पूरा करने में चार साल लग गए. इसके बाद कोविड और नोटबंदी हुई थी. MD मधु नायर ने ये भी कहा कि हमने इस प्रोजेक्ट के लिए बहुत आक्रामक बोली लगाई, जो L2 बोली से 100 करोड़ रुपये कम थी और हमने फिर भी इस कॉन्ट्रैक्ट पर मुनाफा कमाया है.
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माहे श्रेणी के तीन जहाज- INS माहे, INS मालवन और INS मंगरोल, जिनका नाम ऐतिहासिक भारतीय बंदरगाहों के नाम पर रखा गया है, ये सभी अभय श्रेणी के जहाजों की जगह लेंगे. गुरुवार को लॉन्च किए गए कार्वेट को भारतीय नौसेना को सौंपे जाने से पहले अगले 12-18 महीनों में हथियारों से फिट किया जाएगा.
नायर ने कहा कि हम नवंबर 2024 तक पहला कॉर्वेट को हथियारों से फिट करने का काम पूरा कर लेंगे बाकी दो को अगले छह महीनों में पूरा किया जाएगा. INS विक्रांत के कमीशन होने के बाद इन 3 कॉर्वेट का लॉन्च कोचीन शिपयार्ड की क्षमता को दर्शाता है.
कोचीन शिपयार्ड की ऑर्डर बुक करीब 22,000 करोड़ रुपये की है, जिसमें लगभग 16,600 करोड़ रुपये का डिफेंस ऑर्डर शामिल है. शिपयार्ड को अगली पीढ़ी के वॉरफेयर शिप के लिए 9,800 करोड़ रुपये से अधिक वैल्यू के ऑर्डर भी मिले है. नायर ने कहा, अगली पीढ़ी के वारफेयर शिप पर टेक्निकल और इंजीनियरिंग का काम चल रहा है.
कोचीन शिपयार्ड 2009 में स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर का ऑर्डर हासिल करने वाला भारत का पहला सिविलियन शिपयार्ड बन गया था. INS विक्रांत को 2022 में नौसेना में शामिल किया गया था. अब इसे ऐसे दूसरे जहाज की रक्षा मंत्रालय से ऑर्डर पर नजर है.
बुधवार को कोचीन शिपयार्ड का शेयर 3.60% यानी 42 रुपये चढ़कर 1206 रुपये पर बंद हुआ.