ONGC के KG ब्लॉक से गैस प्रोडक्शन बढ़ाने में देरी, रिग सप्लाई में दिक्कत बड़ी वजह

KGDWN 98/2 ब्लॉक हाल के सालों में ONGC की सबसे महत्वपूर्ण खोजों में से एक है.

ONGC को KGDWN 98/2 ब्लॉक से गैस प्रोडक्शन बढ़ाने में देरी होगी. अब मई-जून 2025 में प्रोडक्शन बढ़ने की उम्मीद है.

5 बिलियन डॉलर का ये प्रेजेक्ट, जिसे 2021 में नेचुरल गैस के प्रोडक्शन के लिए शुरू किया गया था, 2024 तक इससे 10 mmscmd की उच्चतम क्षमता तक पहुंचने की उम्मीद थी.

मगर वर्तमान में इस ब्लॉक से लगभग 1.5 mmscmd का प्रोडक्शन कर रहा है और नए रिग और प्लेटफॉर्म के आने से प्रोडक्शन मई-जून 2025 तक बढ़कर 3.5 mmscmd की क्षमता तक पहुंच जाएगा. आपको बता दें रिग्स के अगले साल तक ही आने की उम्मीद है.

वित्तीय दिक्कतों से हो रही देरी

प्रोडक्शन में देरी की सबसे बड़ी वजह प्लेटफॉर्म रिग के आने में देरी है. Covid -19 के बाद आर्थिक दिक्कतों को प्लेटफॉर्म रिग के आने में हो रही देरी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. इस रिग के लिए मलेशियाई सप्लायर ने बोली जीती थी, लेकिन कोविड के बाद कंपनी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा है.

सूत्रों ने कहा कि ये अब ये समस्या हल हो गई है और प्लेटफार्म का निर्माण फिर से शुरू हो गया है. उन्होंने कहा कि ONGC दिसंबर 2025 तक प्रोडक्शन बढ़ाकर 10 mmscmd करने का भी भरोसा जता रही है. अप्रैल 2018 में इसकी शुरुआत के समय, ONGC ने कहा था कि प्रोजेक्ट पर अनुमानित केपैक्स 5.07 बिलियन डॉलर होगा और इसके अलावा 16 सालों के फील्ड लाइफ में 5.12 बिलियन डॉलर का ऑपरेशनल एक्सपेंडिचर होगा.

KGDWN 98/2 ब्लॉक ONGC के लिए महत्वपूर्ण

ONGC के प्रवक्ता ने मंगलवार को भेजे गए सवालों के जवाब नहीं दिए है.

कृष्णा-गोदावरी (केजी) बेसिन में स्थित, KGDWN 98/2 ब्लॉक हाल के सालों में ONGC की सबसे महत्वपूर्ण खोजों में से एक है. ब्लॉक में अनुमानित 2.5 ट्रिलियन क्यूबिक फीट गैस भंडार है और ये भारत के एनर्जी मिक्स में महत्वपूर्ण योगदान देगा.

ब्लॉक से प्रोड्यूस नेचुरल गैस से भारत की बढ़ती मांग को पूरा करने में बड़ी मदद मिलने की उम्मीद है. ये देखते हुए कि भारत में 2026 तक लगभग 212 mmscmd गैस की खपत होने की उम्मीद है, ONGC का ये ब्लॉक कुल खपत का 5% के करीब होगा.

रेटिंग एजेंसी केयरएज (CareEdge) ने हाल ही में बताया था की घरेलू नेचुरल गैस प्रोडक्शन में ग्रोथ के साथ, LNG पर भारत की निर्भरता धीरे-धीरे कम हो गई है और FY26 तक लगभग 45% रहने की उम्मीद है.

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