डिजिटल रुपये के जरिए मोदी सरकार क्या करने जा रही है... जानें यहां

डिजिटल रूपी (Digital rupee) के जरिए सरकार तमाम सरकारी योजनाओं के लाभ को उचित लाभार्थी के साथ साथ निर्धारित मद में ही खर्च करने की योजना को धरातल पर उतार सकती है. उदाहरण के तौर पर कहा जा सकता है कि यदि सरकार किसानों को खाद की सब्सिडी दे रही है तो वर्तमान में डीबीटी योजना (DBT यानि Direct Benefit Transfer) के तहत सीधे खाते में रकम जमा की जा रही है.

डिजिटल रुपये का लेन-देन शुरू हो गया है.

डिजिटल रुपये को लेकर देश में लोगों के मन में तमाम सवाल उभर रहे हैं. ये करेंसी कैसे काम करेगी... कौन सी संस्था इसका क्रियान्वयन करेगी और लोगों को इससे क्या फायदा और अंत में सरकार को यह क्यों करना चाहिए या सरकार ऐसा क्यों कर रही है... इन सवालों के जवाब हम आपको देंगे... आज इन्हीं में से कुछ सवालों के जवाब आपको हम देने जा रहे हैं... आपको ज्ञात होगा कि देश में डिजिटल रुपया (digital rupee) की लॉन्चिंग हो चुकी है. चार शहरों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर आरबीआई (RBI) ने इसे हाल ही में शुरू किया है. 

पहले चरण के ई-रुपया (e-Rupee) को नई दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में शुरू किया गया है. Digital Rupee के ट्रायल को फिलहाल सीमित उपयोगकर्ताओं के बीच शुरू किया गया है यानि कुछ चयनित लोगों को समूह के बीच जिसे क्लोज्ड यूजर ग्रुप कहा जा रहा है. इसमें चार बैंकों- भारतीय स्टेट बैंक (SBI), आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank), यस बैंक (YES Bank) और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक (IDFC First Bank)  को शामिल किया गया है. इन ऋणदाताओं बैंकों के साथ-साथ ग्राहक और व्यापारी डिजिटल रुपये में लेनदेन कर सकेंगे. यह लेन-देन चुनिंदा लोगों के बीच आप में प्रायोगिक तौर पर किया जा रहा है साथ ही व्यापारी भी इसे आपस में प्रयोग में ला रहे हैं. कुछ आम नागरिक और व्यापारियों के बीच में डिजिटल रुपी में लेन-देन आरंभ किया गया है. यह पायलट प्रोजेक्ट इस डिजिटल रुपी के नियमन में आने वाली दिक्कतों को पकड़ने पहचानने और दूर करने के लिए किया जा रहा है.

कौन करेगा डिजिटल रुपये का संचालन
फिलहाल इस पूरी प्रक्रिया को NPCI (National Payments Corporation of India) द्वारा संचालित किया जा रहा है. NPCI फिलहाल BHIM ऐप का संपूर्ण संचालन कर रही है. इसके अलावा कई लेन-देन का माध्यम भी एनपीसीआई है.

क्यूआर कोड (QR code) है सबसे महत्वपूर्ण

लोगों के सवालों को लेकर जब हमने बैंकिंग एक्सपर्ट एससी सिन्हा से बात की तब उन्होंने बताया कि भारत सरकार का यह बहुत महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट है. डिजिटल रुपी या कहें डिजिटल रुपये में एनपीसीआई NPCI काफी अहम भूमिका निभा रहा है. डिजिटल रुपये के लेन-देन में बैंकों के जरिए वॉलेट की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी जिसमें ग्राहक के अनुरूप रुपये और किस मात्रा में कौन सा डिटिटल नोट चाहिए दिया जाएगा. इसके बाद एनपीसीआई NPCI द्वारा दिए गए क्यूआर कोड (QR code) के जरिए पेमेंट की जाएगी.

सरकारी योजनाओं में कैसे होगा इस्तेमाल

सिन्हा जी का कहना है कि इस प्रकार डिजिटल रूपी (Digital rupee) के जरिए सरकार तमाम सरकारी योजनाओं के लाभ को उचित लाभार्थी के साथ साथ निर्धारित मद में ही खर्च करने की योजना को धरातल पर उतार सकती है. उदाहरण के तौर पर कहा जा सकता है कि यदि सरकार किसानों को खाद की सब्सिडी दे रही है तो वर्तमान में डीबीटी योजना (DBT यानि Direct Benefit Transfer) के तहत सीधे खाते में रकम जमा की जा रही है. 

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लेकिन, सरकार आगे डिजिटल रुपये के जरिए ऐसा कर रही है कि सीधे लाभार्थी के खाते में रकम जमा करे और संबंधित इस्तेमाल के लिए जरूरी रुपये का QR कोड भी जारी करे. यह क्यूआर कोड (QR code) NPCI द्वारा जारी किया जाएगा और इस बात की जानकारी किसान, संबंधित विभाग, बैंक और सरकार को NPCI के जरिए हो जाएगी. बताया यह भी जा रहा है कि सरकार इस क्यू आर कोड की एक समय सीमा तय करेगी ताकि इसका प्रयोग समय सीमा के भीतर ही किया जा सकेगा. इससे साफ है कि सरकार अपनी तमाम लाभाकारी योजनाओं को पूरी तरह से नियंत्रित कर पाएगी और उचित लाभार्थी को जरूरी मदद समय पर की जा सकेगी. 

सब्सिडी का दुरुपयोग रोका जा सकेगा

कहा यह भी जा रहा है कि सरकार इस डिजिटल रुपये के जरिए सब्सिडी का दुरुपयोग रोक पाएगी और गैर वाजिब लोगों को इसके दायरे से बाहर भी कर सकेगी. इतना ही नहीं अन्य सरकारी योजनाओं को भी सरकार बाद में इसी योजना के जरिए जरूरतमंदों तक पहुंचाएगी. 

बैंकिंग एक्सपर्ट एससी सिन्हा का मानना है कि सरकार इस पूरी कवायद के जरिए रुपये के मैनेजमेंट पर आ रहे करोड़ों रुपये के खर्चे को रेगुलेट भी कर पाएगी और देश की संपूर्ण अर्थव्यवस्था की मजबूती की ओर एक शानदार कदम होगा. 

डिजिटल रुपये से जुड़ी अन्य और बातें आगे भी आपको यहां मिलेंगी वो भी जल्द...

लेखक NDTV Profit Desk