रोजगार के बारे में हमारे पास सटीक आंकड़ा नहीं : नीति आयोग के सदस्य देबराय

नीति आयोग के सदस्य और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के अध्यक्ष बिबेक देबराय ने कहा कि देश में रोजगार के बारे में कोई सटीक आंकड़ा नहीं है. पीएमईएसी की पहली औपचारिक बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास रोजगार को लेकर ठोस आंकड़ा नहीं है. देश में जो भी आंकड़े हैं, वह परिवारों के बीच किये गये सर्वे पर आधारित है और जो आंकड़े हैं भी वे पुराने हैं. भारत जैसे देश में उपक्रम आधारित आंकड़ा मुश्किल है.’’ उनसे देश में पर्याप्त रोजगार सृजित नहीं होने और आंकड़ों की कमी के बारे में पूछा गया था.

नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय.

नीति आयोग के सदस्य और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के अध्यक्ष बिबेक देबराय ने कहा कि देश में रोजगार के बारे में कोई सटीक आंकड़ा नहीं है. पीएमईएसी की पहली औपचारिक बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास रोजगार को लेकर ठोस आंकड़ा नहीं है. देश में जो भी आंकड़े हैं, वह परिवारों के बीच किये गये सर्वे पर आधारित है और जो आंकड़े हैं भी वे पुराने हैं. भारत जैसे देश में उपक्रम आधारित आंकड़ा मुश्किल है.’’ उनसे देश में पर्याप्त रोजगार सृजित नहीं होने और आंकड़ों की कमी के बारे में पूछा गया था.

गौरतलब है कि फिलहाल जो रोजगार पर आंकड़े उपलब्ध होते हैं, वह समय पर नहीं आते और जो आंकड़े आते भी हैं, वह संगठित क्षेत्र तक सीमित होता है. असंगठित क्षेत्र में देश के कुल कार्यबल का करीब 90 प्रतिशत काम करता है लेकिन उनको लेकर कोई ठोस आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. इस संदर्भ में व्यापक आंकड़े राष्ट्रीय नमूना सर्वे कार्यालय (एनएसएसओ) उपलब्ध कराता है लेकिन वह समय पर नहीं आता और उसमें समय अंतराल (टाइम लैग) होता है. परिषद की पहली बैठक में 10 क्षेत्रों की पहचान की है जिसमें आर्थिक वृद्धि और रोजगार और रोजगार सृजन सबसे ऊपर है.

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देबराय ने कहा, ‘‘परिषद अपनी अगली बैठक में रोजगार के बारे में विस्तार से चर्चा करेगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘परिषद ने आर्थिक वृद्धि और रोजगार समेत 10 मुद्दों को चिन्हित किया. आने वाले महीनों में परिषद के सदस्य संबंधित मंत्रालयों, राज्यों, विशेषज्ञों, संस्थानों, निजी क्षेत्र और अन्य संबंधित पक्षों के साथ विचार विमर्श कर इस बारे में रिपोर्ट तैयार करेंगे.’’ देश में आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘परिषद के सदस्यों के बीच इस बात पर सहमति थी कि आर्थिक वृद्धि दर घटी है जिसके कई कारण हैं.’’ उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर कम होकर तीन साल के न्यूनतम स्तर 5.7 प्रतिशत पर आ गई.
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उन्होंने इस बारे में विस्तार से बताने इनकार करते हुए कहा कि परिषद की जिम्मेदारी विभिन्न मुद्दों पर अपनी सिफारिश प्रधानमंत्री को देने की है.(भाषा)

लेखक NDTVKhabar News Desk