चीन सीमा के आसपास रक्षा बुनियादी ढांचे को तेज करने के लिए पर्यावरण मंत्रालय शीघ्र ही मंजूरी प्रक्रिया को आसान बनाएगा। मंत्रालय इसके लिए एक नई नीति ला रहा है जिसमें इस बारे में फैसला करने का अधिकार सम्बद्ध राज्यों को दिया जाएगा।
पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह नीति बनने के बाद रक्षा मंत्रालय को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के 100 किलोमीटर के दायरे में आने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण परियोजनाओं तथा सीमा सड़कों के निर्माण के लिए केंद्र की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी।
नई नीति के तहत सम्बद्ध राज्य सरकारें पर्यावरणीय चिंताओं से कोई समझौता किए बिना फैसले कर सकेंगी।
जावड़ेकर ने कहा, यह नीति इस तरह से तैयार की जाएगी कि एलएसी के 100 किलोमीटर के दायरे में आने वाली सड़क व रक्षा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए पर्यावरण व वन मंजूरी के बारे में फैसला राज्य सरकार ही कर सकेगी।
चीन के साथ 4056 किलोमीटर लंबी एलएसी चार राज्यों जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचलप्रदेश व सिक्किम को छूती है।
रक्षा सचिव आर के माथुर तथा रक्षा मंत्रालय के अन्य आला अधिकारियों ने जावड़ेकर से उनके कार्यालय में मुलाकात की जिसमें इस आशय का फैसल किया गया।
जावड़ेकर ने कहा, हमने आज रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के आग्रह पर उनके साथ बैठक की क्योंकि उनकी अनेक परियोजनाएं अटकी हैं या उन्हें देरी से मंजूरी मिल रही है। मुद्दा यह सुनिश्चित करना था कि इनमें देरी नहीं हो। इसका जवाब तो नीति आधारित फैसला है।
उन्होंने कहा कि बैठक में पर्यावरण मंत्रालय के पास लंबित रक्षा मंत्रालय के प्रस्तावों की स्थिति पर भी चर्चा हुई। मंत्री ने हालांकि यह भी कि कि राज्यों को पर्यावरणीय चिंताओं पर समझौता नहीं करना चाहिए।
कल राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वक्तव्य का ज्रिक करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण तथा नीति आधारित फैसलों का जिक्र किया।