Fairwork India Ratings 2024: गिग वर्कर्स के लिए टाटा की बिगबास्‍केट टॉप पर, ओला-उबर फिसड्डी

इस रैंकिग को जिन 12 डिजिटल प्लेटफॉर्मों को लेकर तैयार किया गया है उनमें अमेजॉन फ्लेक्स, बिगबास्केट, ब्लूस्मार्ट, फ्लिपकार्ट, ओला, पोर्टर, स्विगी, उबर, अर्बन कंपनी, जेप्टो और जोमैटो शामिल थे.

Source: BigBasket

Fairwork India Ratings 2024 Report: अस्थायी कर्मचारियों यानी गिग वर्कर्स के लिए कामकाज संबंधी अनुकूल या उचित परिस्थितियों के आधार पर डिजिटल प्लेटफॉर्मों की एक रैंकिंग जारी की गई है. बिगबास्केट (BigBasket) ने इस साल के फेयरवर्क इंडिया इंडेक्स में शीर्ष स्थान हासिल किया है. वहीं, कैब सर्विस देने वाली उबर और ओला (Uber-Ola) जैसी कंपनियां और लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप पोर्टर (Porter) निचले पायदान पर रहे हैं.

कैसे तैयार हुई है रिपोर्ट ?

फेयरवर्क इंडिया रिपोर्ट को सेंटर फॉर IT एंड पब्लिक पॉलिसी और इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, बैंगलोर ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सहयोग से तैयार की है. फेयरवर्क दुनियाभर के डिजिटल प्लेटफॉर्मों के गिग वर्कर्स के कामकाज की परिस्थितियों और उनसे कंपनियां कितना निष्पक्ष व्यवहार करती हैं इस बात का आकलन करती है.

इस रैंकिग को जिन 12 डिजिटल प्लेटफॉर्मों को लेकर तैयार किया गया है उनमें अमेजॉन फ्लेक्स, बिगबास्केट, ब्लूस्मार्ट, फ्लिपकार्ट, ओला, पोर्टर, स्विगी, उबर, अर्बन कंपनी, जेप्टो और जोमैटो शामिल थे.

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इन 5 पैमानों पर तय हुई रैंकिंग

‘फेयरवर्क इंडिया रेटिंग्स 2024 रिपोर्ट' में डिजिटल प्लेटफॉर्मों की रैंकिंग 5 व्‍यापक मापदंडों वर्किंग कंडीशंस, फेयर पे, कॉन्‍ट्रैक्‍ट फेयरनेस, मैनेजमेंट और रिप्रेजेंटेशन के आधार पर डिजिटल लेबल प्‍लेटफॉर्म्‍स को रैंकिंग तय की गई. इस साल भी, किसी भी प्लेटफार्म को अधिकतम 10 में से 6 से अधिक अंक नहीं मिले हैं.

वेतन के मुद्दे पर केवल बिगबास्केट और अर्बन कंपनी को न्यूनतम वेतन नीति लागू करने के लिए इस रिपोर्ट में पहले स्थान पर रखा गया है. इन दोनों कंपनियों ने सभी कर्मचारियों को काम से संबंधित लागतों को ध्यान में रखते हुए कम से कम प्रति घंटे स्थानीय न्यूनतम वेतन अर्जित करने की गारंटी दी है.

इस रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है कि किसी भी प्लेटफार्म को रिप्रेजेंटेशन के लिए अंक नहीं मिला है.

स्टडी में कहा गया है कि देश भर में श्रमिकों के विरोध और हड़ताल के कई उदाहरणों और पिछले कुछ वर्षों में सामने आए हैं और ये प्लेटफार्म औपचारिक रूप से श्रमिकों के समूहों को मान्यता देने या उनके साथ बातचीत करने से इनकार करते हैं.