द ऑल इंडिया कंज्यूमर डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन ने FMCG के एक ट्रेंड को लेकर बड़ी चिंता जाहिर की है. उसका कहना है कि FMCG कंपनियां एक्सपायरी के करीब वाले स्टॉक को बेचने के लिए क्विक कॉमर्स और ई-कॉमर्स (E-Commerce) प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर रही हैं. फेडरेशन ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय (Consumer Affairs Ministry) से ज्यादा सख्त नियमों को लागू करने की मांग की है, जिससे इस पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी.
डिस्काउंट से आकर्षित करती हैं कंपनियां
AICPDF ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के पास ऐसे प्रोडक्ट्स का भंडार हो गया है जो एक्सपायरी डेट के नजदीक पहुंच चुके हैं. अक्सर इनमें भारी डिस्काउंट दिए जाते हैं. ये ग्राहकों के अधिकार और पारंपरिक रिटेल बाजार की स्थिरता दोनों के लिए गंभीर चुनौती खड़ी करता है.
फेडरेशन ने जिक्र किया कि खासतौर पर कंज्यूमेबल गुड्स के मामले में ग्राहक अनजाने में एक्सपायरी के करीब वाले प्रोडक्ट्स खरीद लेते हैं. वो डिस्काउंट्स से आकर्षित होते हैं और इससे स्वास्थ्य के लिए जोखिम खड़ा होता है.
छोटे रिटलर्स को नुकसान की कही बात
उसने इसके लिए क्विक डिलीवरी कंपनियों के इस्तेमाल की आलोचना की. इन प्लेटफॉर्म्स को उसने डंपिंग यार्ड्स कहा. AICPDF ने कहा कि इसने असमान प्लेइंग फील्ड पैदा की है जिससे पारंपरिक रिटेलर्स पर बड़ा असर हुआ है.
फेडरेशन ने आगे कहा कि छोटे और मध्य साइज के रिटेलर्स कीमतों में भारी कटौती के साथ मुकाबला नहीं कर सकते हैं जिससे उनकी वित्तीय स्थिरता पर असर पड़ रहा है और उनकी मौजूदगी को भी चुनौती मिल रही है.
उसने आगे बताया कि इन प्लेटफॉर्म्स का पैकेज्ड गुड्स इंडस्ट्री गलत फायदा उठा रही है. मौजूदा अपील से पहले AICPDF ने कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया को शिकायत भेजी थी. इसमें क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स ब्लिंकिट, स्विगी और जोमैटो पर भी गलत प्राइसिंग का आरोप लगाया था.