100 से ज्यादा खाद्य कंपनियों (Food Companies) ने वर्ल्ड फूड इंडिया के पहले दिन केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज मंत्री चिराग पासवान (Chirag Paswan) से मुलाकात की. इन कंपनियों में ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज, पेप्सिको इंडिया, हल्दीराम और ITC शामिल हैं. बंद दरवाजे में ये बैठक दो घंटे से ज्यादा चली. इसका मकसद फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज के सामने आ रहीं चिंताओं पर बात करना था.
किन मुद्दों पर हुई चर्चा?
पासवान ने बैठक के बाद बताया कि इस CEO राउंडटेबल का मकसद खाद्य कंपनियों के प्रतिनिधियों को एक प्लेटफॉर्म देना है जिसकी मदद से वो अपनी चिंताओं और सुझावों को सरकार के सामने रख सकें. उन्होंने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस से जुड़ी कई चिंताएं हैं. इन मुद्दों से जुड़े विभाग अब समाधान खोजने की कोशिश करेंगे.
उन्होंने राज्य स्तर की फूड प्रोसेसिंग कंपनियों को भारत को खाद्य प्रोडक्ट्स का ग्लोबल हब बनाने में मदद देने के लिए बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया. टैक्सेशन, सब्सिडी और रेगुलेटरी चुनौतियों को लेकर चर्चा हुई. बैठक के दौरान कंपनियों के अधिकारियों ने मौजूदा कस्टम्स ड्यूटी को लेकर सफाई मांगी.
PLI स्कीम को लेकर भी चिंताएं जाहिर कीं
मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि कुछ कंपनियों ने नियमों में बदलाव की वजह से सब्सिडी से इनकार किए जाने के बाद प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम को लेकर चिंताएं जाहिर कीं. एक एग्जीक्यूटिव ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि सरकार ने बीच में ही नियमों में बदलाव कर दिया है. उसने कंपनियों को PLI स्कीम के तहत बेनेफिट्स के लिए क्वालिफाई करने के लिए आयातित कच्चे माल के इस्तेमाल से रोक दिया है.
रेगुलेशन से बहुत से कारोबारों पर बुरा असर पड़ रहा है. एग्जीक्यूटिव ने सरकार से किसी संभावित दिक्कत से बचने के लिए ऐसे बदलावों को लागू करने से पहले चर्चा करने के लिए कहा.
सरकार ने क्या भरोसा दिया?
स्कीम के तहत सरकार मैन्युफैक्चरर्स को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय प्रोडक्ट्स की पहुंच बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता देती है. हालांकि उन्होंने अब डिस्ट्रीब्यूटर्स के जरिए रीम्बर्समेंट्स पर रोक लगा दी है. एक पैकेज्ड फूड कंपनी के एग्जीक्यूटिव ने कहा कि देश में कानूनी इकाइयों की किल्लत है.
इसलिए ये स्थानीय एजेंसियों को कैसे भुगतान कर सकते हैं. इससे शामिल सभी लोग परेशान हो गए हैं. आने वाले हफ्तों में समाधान की उम्मीद है. दूसरा अहम मुद्दा गेहूं के निर्यात पर बैन था. कंपनियों ने इस पर दोबारा विचार करने की मांग की.
CEOs ने रिफाइंड खाद्य तेल में हाल ही में इंपोर्ट ड्यूटी में बढ़ोतरी और बिक्री पर संभावित असर को लेकर चिंताएं बढ़ाईं. एक कंपनी के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि अगर वो कीमतें नहीं बढ़ाती हैं, तो उन्हें बड़ा नुकसान हो सकता है. इसलिए, सरकार से दोबारा विचार करने की मांग की जा रही है.
कुछ CEOs ने ब्रेकफास्ट सीरियल्स पर GST को 18% से घटाकर 12% करने की मांग की, जो बटर, घी और पैकेज्ड फ्रूट जूस पर लगता है. पासवान ने भरोसा दिया कि मंत्रालय GST काउंसिल में इन बातों पर जोर देगा. हालांकि उन्होंने आगे कहा कि GST पर आखिरी फैसला काउंसिल का ही होता है.