भारत में सोने की डिमांड घटी, 2020 के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंची

घरेलू बाजार में ज्यादा कीमतों से खरीदारों पर असर पड़ा है. देश में लोग 2023 में 650 से 750 टन सोने के बीच खरीदारी कर सकते हैं.

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भारत में गोल्ड के साथ हमेशा भावुकता का रिश्ता रहा है, इसलिए डिमांड भी ज्यादा रहती है, लेकिन इस साल सोने के खरीदार थोड़ा कम रहेंगे.

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू बाजार में ज्यादा कीमतों से खरीदारों पर असर पड़ा है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल में भारत के लिए रीजनल चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर पी आर सोमासुंदरम ने कहा कि भारत के लोग 2023 में 650 से 750 टन सोने के बीच खरीदारी कर सकते हैं.

क्यों घटी सोने की डिमांड?

लंदन में आधारित ग्रुप के डेटा के मुताबिक, ये रेंज पिछले साल खरीदे गए 774 टन से कम है और 2020 में खरीदे गए 446 टन के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. उन्होंने कहा कि आने वाले बाकी साल के लिए देखें, तो हम सोने की डिमांड को लेकर सतर्क बने हुए हैं. क्योंकि घरेलू बाजार में सोने की कीमतें बढ़ने और घटते खर्चों की वजह से अनिश्चित्ता बनी हुई है.

सोना हमेशा से भारत में निवेश का लोकप्रिय जरिया रहा है. खासतौर पर, ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी मांग रहती है जहां बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच मुश्किल होती है. लोग आम तौर पर शादियों पर गहने खरीदते हैं. इसके अलावा नवंबर में आने वाली दिवाली में सोने के सिक्कों और बार में निवेश बढ़ता है.

सोमासुंदरम ने कहा कि मॉनसून सीजन बेहतर रहने से दिवाली सीजन से पहले सेंटिमेंट में सुधार दिख सकता है और अच्छे नतीजे देखने को मिल सकते हैं. भारत में सोने की खपत ऐसे समय पर कमजोर पड़ी है, जब केंद्रीय बैंकों की ओर से खरीदारी भी कम हुई है.

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सोने की कीमतों का क्या है हाल?

इसकी वजह से बुलियन मई की शुरुआत में इस साल के सबसे ऊंचे स्तर से करीब 5% गिरा है. हालांकि, फेडरल रिजर्व के मौद्रिक नीति को सख्त बनाने की साइकिल खत्म करने का संकेत देने के बाद कीमतों में तेजी देखने को मिली है.

उन्होंने आगे बताया कि भारत में बेंचमार्क गोल्ड फ्यूचर्स तेजी के साथ मई में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया. इसमें पिछले साल के मुकाबले करीब 16% का उछाल देखने को मिला है. कुछ निवेशकों ने इन ऐतिहासिक स्तरों से प्रॉफिट बुक किया, इससे गोल्ड रिसाइकलिंग अप्रैल-जून के दौरान सालाना आधार पर 61% बढ़कर 37.6 टन पर पहुंच गई है.

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