पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 7 मार्च को कहा कि उनका मंत्रालय रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) और उसके सहयोगियों से 24,522 करोड़ रुपये (2.81 बिलियन डॉलर) को वसूलेगा. उन्होंने साफ कहा है कि गैस माइग्रेशन विवाद में अदालत का फैसला सरकार को इसके लिए पूरे अधिकार देता है.
इससे पहले पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसके पार्टनर्स को 24,522 करोड़ रुपये के पेमेंट का नोटिस भेजा था. पुरी ने कहा कि मंत्रालय इससे पहले भी इस तरह के कई मामलों में जीत दर्ज कर चुका है और इस मामले में भी कोर्ट का निर्णय भी पूरी तरह साफ है.
क्या है पूरा मामला?
रिलायंस को गैस माइग्रेशन के मामले में मध्यस्थता ट्रिब्यूनल की तरफ से जीत मिली थी. जिसके विरोध में की गई सरकार की अपील को एक फैसले में खारिज कर दिया था. अब उसी फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट ने पलट दिया है.
दिल्ली हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच के इस फैसले के बाद सरकार की मांगी गई रकम 1.55 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2.81 बिलियन डॉलर हो गई है. जिसमें गैस माइग्रेशन से जुड़े बाकी हिसाब भी शामिल हैं. अगर रिलायंस इंडस्ट्रीज को ये राशि चुकानी पड़ी, तो यह उसके बीते 12 महीनों के मुनाफे का लगभग 31% होगी.
कैसे शुरू हुआ विवाद?
ये विवाद ONGC के KG-D6 क्षेत्र के ब्लॉक्स से कथित गैस माइग्रेशन से जुड़ा है. 2014 में सरकार ने रिलायंस इंडस्ट्रीज, BP एक्सप्लोरेशन लिमिटेड और निको लिमिटेड पर ONGC के ब्लॉकों से गैस खींचने का आरोप लगाते हुए 1.55 बिलियन डॉलर का दावा किया था.
2016 में सरकार ने रिलायंस और उसके साझेदारों ब्रिटिश पेट्रोलियम और निको को नोटिस भेजा. हालांकि, 2018 में एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में इस विवाद में रिलायंस इंडस्ट्रीज के पक्ष में फैसला आया था.
बाद में 9 मई 2023 को दिल्ली हाई कोर्ट की एक अदालत ने सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया था, जिसमें कंपनी को मिले आर्बिट्रल अवार्ड (Arbitral Award) को चुनौती दी गई. सरकार ने फिर से इस फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में फिर से पेश किया, जिसमें अब एकल न्यायाधीश के फैसले को पलट दिया गया है.
रिलायंस का रुख
डिवीजन बेंच के फैसले के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा कि वो इस आदेश को चुनौती देने की प्रक्रिया में है और मामले को ऊपरी अदालत में ले जाने के लिए कानूनी सलाह ले रही है.
PLI योजना के तहत रिलायंस पर अलग से जुर्माना
इससे अलावा, एक अन्य मामले में रिलायंस इंडस्ट्रीज की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी, रिलायंस न्यू एनर्जी लिमिटेड पर सरकार की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना के तहत बैटरी सेल प्लांट स्थापित न करने के लिए 125 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
क्या आगे होगा फैसला?
गैस माइग्रेशन विवाद में सरकार ने अपनी मंशा साफ कर दी है कि वो अदालत के फैसले को अंत तक लागू कराएगी. अब देखना होगा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज इस फैसले को चुनौती देने के लिए कौन से कानूनी कदम उठाती है और मामला किस ओर रुख करता है.