SEBI की नोटिस का जवाब दिया नहीं, शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग ने चेयरपर्सन पर ही लगा दिए झूठे आरोप! यहां समझिए पूरी क्रोनोलॉजी

मार्केट रेगुलेटर SEBI ने करीब डेढ़ महीने पहले शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया था.

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एक कहावत तो हममें से कई लोगों ने सुनी होगी- 'उल्‍टा चोर, कोतवाल को डांटे'. भ्रामक और आधारहीन रिपोर्ट्स के चलते अपनी साख गंवा चुके अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग पर ये बिल्‍कुल फिट बैठता है. अब एक बार फिर इसने यही किया है.

अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस और अन्‍य जुड़े मामलों को लेकर मार्केट रेगुलेटर SEBI ने करीब डेढ़ महीने पहले शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. बजाय इसका जवाब देने के इस बार शॉर्टसेलर ने SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर ही झूठे आरोप लगा दिए हैं.

शॉर्टसेलर के आरोपों को SEBI की चेयरपर्सन ने चरित्रहनन की कोशिश बताया है, जबकि अदाणी ग्रुप ने भी इस रिपोर्ट को आधारहीन बताया है.

क्लियर है क्रोनोलॉजी

इस मामले पर थोड़ा पीछे जाकर देखने पर पूरी क्रोनोलॉजी शीशे की तरह साफ हो जाती है. नीचे विस्‍तार से भी समझेंगे, इस क्रोनोलॉजी को पहले शॉर्ट में देख लेते हैं.

  • मामले की शुरुआत हुई जनवरी 2023 में. शॉर्टसेलर ने अदाणी ग्रुप पर शेयर मैनिपुलेशन के आरोप लगाए.

  • इस भ्रामक और आधारहीन रिपोर्ट के बाद शेयर गिरने पर FPI की मदद से शॉर्टसेलिंग कर मुनाफा कमाया.

  • SEBI ने तमाम आरोपों की जांच की और अदाणी ग्रुप को सही, जबकि शॉर्टसेलर को गलत ठहराया.

  • मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी अदाणी ग्रुप को क्‍लीन चिट मिली.

  • SEBI ने जांच में शॉर्टसेलर को कोड ऑफ कंडक्‍ट के उल्‍लंघन और अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस का दोषी पाया.

  • 27 जून को SEBI ने हिंडनबर्ग को, FPI मार्क किंग्‍डन और नाथन एंडरसन को शो-कॉज नोटिस भेजा.

  • नोटिस का जवाब देने की बजाय हिंडनबर्ग ने SEBI पर कोटक महिंद्रा को बचाने समेत कई आरोप लगाए.

  • अब एक और भ्रामक रिपोर्ट जारी कर शॉर्टसेलर ने SEBI चीफ पर ही कथित हेराफेरी में शामिल होने के आरोप लगाए.

नोटिस का जवाब दिया नहीं, अब नई 'थेथरई'

हिंडनबर्ग की नई भ्रामक रिपोर्ट पर भी तमाम प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. राजनीति, मार्केट, इंडस्‍ट्री से जुड़े कई एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि हिंडनबर्ग, SEBI की नोटिस का जवाब देने की बजाय उल्‍टा आरोप मढ़ रहा है. पहले SEBI पर लोगों को बचाने के आरोप लगाए और अब SEBI की चेयरपर्सन पर भी.

दरअसल, मार्केट रेगुलेटर SEBI ने बीते 27 जून को अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च, नाथन एंडरसन और मॉरिशस बेस्‍ड FPI मार्क किंग्डन को कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) जारी किया था. SEBI ने अदाणी एंटरप्राइजेज के शेयरों में ट्रेडिंग नियमों के उल्लंघन के लिए ये कार्रवाई की.

मार्केट रेगुलेटर के मुताबिक, हिंडनबर्ग और एंडरसन ने SEBI एक्ट के तहत प्रिवेंशन ऑफ फ्रॉडलेंट एंड अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिसेस रेगुलेशंस, SEBI के कोड ऑफ कंडक्ट फॉर रिसर्च एनालिस्‍ट रेगुलेशंस का उल्लंघन किया है.

वहीं, FPI मार्क किंग्डन पर प्रिवेंशन ऑफ फ्रॉडलेंट एंड अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिसेस रेगुलेशंस के अलावा SEBI के कोड ऑफ कंडक्ट फॉर FPI रेगुलेशन के उल्लंघन का आरोप है.

हिंडनबर्ग ने कमाया मुनाफा

मार्केट रेगुलेटर SEBI ने जून में बताया था कि, 'हिंडनबर्ग और FPI ने भ्रामक डिस्‍क्‍लेमर जारी किया कि रिपोर्ट केवल भारत के बाहर कारोबार की जाने वाली सिक्‍योरिटीज के वैल्‍युएशन के लिए थी, जबकि ये स्‍पष्‍ट तौर पर भारत में लिस्‍टेड कंपनियों से संबंधित थी.'

SEBI ने कहा, 'हिंडनबर्ग को भारतीय डेरिवेटिव मार्केट में अदाणी एंटरप्राइजेज फ्यूचर्स में ट्रेड करने के लिए FPI मार्क किंगडन ने अदाणी एंटरप्राइजेज में साथ मिल कर इनडायरेक्‍टली शामिल होने में सहायता की और कमाया गया मुनाफा शॉर्टसेलर के साथ बांटा गया.'

इसी मामले को लेकर हिंडनबर्ग को SEBI की नोटिस का जवाब देना था, जबकि जवाब देने की बजाय शॉर्टसेलर ने एक और आधारहीन रिपोर्ट जारी की है. बता दें कि हिंडनबर्ग के आरोपों को अदाणी ग्रुप हमेशा से दुर्भावनापूर्ण और निराधार बताता रहा है. इस मामले में देश की सर्वोच्‍च अदालत से ग्रुप को क्‍लीन चिट मिल चुकी है.

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SEBI चीफ और अदाणी ग्रुप ने खारिज किए आरोप

हिंडनबर्ग की हालिया रिपोर्ट को SEBI की चेयरपर्सन और अदाणी ग्रुप ने आधारहीन करार दिया है. SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने इसे चरित्रहनन की कोशिश बताया. उन्‍होंने और उनके पति धवल बुच ने ज्‍वाइंट स्‍टेटमेंट में कहा, 'हमारी जिंदगी और हमारे फाइनेंस एक खुली किताब हैं, हमने SEBI को समय-समय पर सारे डिस्क्लोजर दिए हैं.'

वहीं अदाणी ग्रुप ने कहा है कि शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग अपने फायदे के लिए फिर से झूठे और दुर्भावनापूर्ण आरोप लगा रहा है. जिन आरोपों को मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट से खारिज कर दिया गया था, हिंडनबर्ग उनकी ही रीसाइक्लिंग कर रहा है और पहले से तय निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए पब्लिक में मौजूद जानकारी का गलत उपयोग कर रहा है. इतना ही नहीं हिंडनबर्ग तथ्यों और नियमों की अवमानना भी कर रहा है.

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