WTO में लैपटॉप इंपोर्ट बैन से जुड़े सवालों का जवाब देगा भारत; US, चीन और ताइवान ने जताई थी चिंता

पिछले हफ्ते के एक ट्रेड ब्रीफिंग के दौरान DGFT ने कहा था कि 1 नवंबर से एक 'इंपोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम' प्रभाव में आएगा, जो लैपटॉप इंपोर्ट के लिए लाइसेंस जारी करेगा.

Source : wto.org

वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (World Trade Organization) में कुछ देशों ने भारत द्वारा लैपटॉप इंपोर्ट पर लगाए प्रतिबंधों को लेकर चिंता जताई थी. खबर है कि WTO में भारत अब इन देशों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देगा.

मामले से जुड़े सरकारी अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि 'सरकार ने जिस मैकेनिज्म का प्रस्ताव दिया है, वो इंपोर्ट मॉनिटरिंग सिस्टम है, जो अभी प्रभावी भी नहीं है. इसलिए ट्रेड डिस्प्यूट का सवाल नहीं उठता है, क्योंकि सिस्टम लागू ही नहीं है.'

पिछले हफ्ते के एक ट्रेड ब्रीफिंग के दौरान DGFT (Director General Of Foreign Trade) ने कहा था कि 1 नवंबर से एक 'इंपोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम' प्रभाव में आएगा, जो लैपटॉप इंपोर्ट के लिए लाइसेंस जारी करेगा.

भारत ने लैपटॉप, टैबलेट्स, ऑल इन वन पर्सनल कंप्यूटर्स, अल्ट्रा स्मॉल फॉर्म फैक्टर कंप्यूटर्स और सर्वर्स के इंपोर्ट पर इस साल 3 अगस्त को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाए थे. इसके बाद इन चीजों का आयात करने वालों को भविष्य में माल खरीदी के लिए सरकार से लाइसेंस हासिल करना जरूरी हो गया था.

लेकिन इस कदम को तीन महीने के लिए टाल दिया गया है, ताकि कंपनियों को लाइसेंस के लिए एप्लाई करने का वक्त मिल सके.

WTO में उठाए गए सवाल

PTI की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका, चीन, साउथ कोरिया और ताइवान ने WTO की कमिटी ऑन मार्केट एक्सेस में सोमवार को भारत के फैसले पर चिंता जताई थी.

रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने कहा था कि इस फैसले से एक्सपोर्टर्स और यूजर्स के लिए अनिश्चित्ता पैदा होगी. इससे इन उत्पादों का व्यापार प्रभावित होगा. इसमें भारत को अमेरिका से होने वाला एक्सपोर्ट भी शामिल है.

इस बीच साउथ कोरिया ने कहा था कि भारत द्वारा उठाया गया कदम WTO के नियमों का उल्लंघन है और इससे गैरजरूरी व्यापारिक बाधाएं पैदा हो सकती हैं. कोरिया ने भारत से अपने कदम पर फिर से विचार करने के लिए कहा था. साथ ही भारत से फैसले को लागू करने समेत सभी जरूरी जानकारियां शेयर करने की अपील की थी.

इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च में इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस के प्रोफेसर साओं रे के मुताबिक, 'इस फैसले को भारत सरकार द्वारा दी गई वजहों के साथ पढ़ना जरूरी है, जिनमें कहा गया है कि ये सिर्फ मॉनिटरिंग मैकेनिज्म है.'

रे ने कहा, 'सुरक्षा चिंताओं को लेकर भारत ने एक मॉनिटरिंग सिस्टम बनाया है. ये किसी तरह स्टैंडर्ड्स पर आधारित प्रतिबंध नहीं हैं, बल्कि इसे घरेलू सुरक्षा के आधार पर लाया गया है.'

FY23 में भारत का पर्सनल कंप्यूटर्स का इंपोर्ट 5.3 बिलियन डॉलर था, जो कुल इंपोर्ट का 0.7% हिस्सा था.

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