मार्केट रेगुलेटर SEBI ने लंबे समय से चले आ रहे NSE को-लोकेशन मामले का निपटारा बिना किसी कार्रवाई के कर दिया है. रेगुलेटर ने बिना किसी निर्देश के मामले को बंद कर दिया है. SEBI को इस मामले में मिलीभगत या साजिश के पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं.
SEBI ने ये निर्णय शुक्रवार को सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल की अपीलों और आदेशों की एक सीरीज की गहन समीक्षा के बाद दिया है.
ये केस NSE के IPO की मंजूरी में बाधा बना हुआ था. इस फैसले के बाद ये बाधा भी दूर हो गई. इस मामले की शुरुआत SEBI के 30 अप्रैल, 2019 के आदेश के बाद हुई थी, जिसमें NSE के को-लोकेशन फैसिलिटी को उठाया गया था. ये एक ऐसी प्रणाली है जो ट्रेडिंग मेंबर को एक्सचेंज के डेटा सेंटर में अपने सर्वर को कोलोकेट करने की अनुमति देती है.
इस आदेश को बाद में सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) के समक्ष अपील में चुनौती दी गई, जिसके बाद 23 जनवरी, 2023 को SAT का निर्णय आया, जो हाल की कार्यवाही का आधार था.
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जनवरी 2023 के अपने निर्णय में SAT ने कई अपीलों का मूल्यांकन किया, जिनमें NSE और रवि नारायण तथा चित्रा रामकृष्ण जैसे इंडिविजुअल की अपीलें भी शामिल थीं.
SAT के फैसले ने सिस्टेमिक मालप्रैक्टिस के लिए एविडेंस की कमी को दर्शाया. हालांकि IP एलोकेशन और सिस्टम मॉनिटरिंग में मानवीय त्रुटियों की ओर इशारा किया गया था.
इस मामले में SAT ने पाया कि NSE की सिस्टम आर्किटेक्चर निष्पक्ष और पारदर्शी डेटा एक्सेस देती है, लेकिन IP के एलोकेशन और सर्वर कनेक्शन की पर्याप्त निगरानी में विफलता के साथ समस्याओं की पहचान हुई थी. इन कमियों के बावजूद SAT को मार्केट रेगुलेटर के नियमों का उल्लंघन नहीं मिला.
SEBI की हालिया समीक्षा ने भी SAT के निष्कर्षों की पुष्टि की है, जिसमें कहा गया कि कोई भी नया साक्ष्य सामने नहीं आया है जो मिलीभगत या साजिश के आरोपों को पुष्ट करता हो.