ED की सबसे बड़ी कॉर्पोरेट धोखाधड़ी की जांच अब अनिल अंबानी समूह तक पहुंची

17,000 करोड़ रुपये के इस बड़े डिफॉल्ट ने भारत के हाल के इतिहास के कुछ सबसे बड़े कॉर्पोरेट धोखाधड़ी मामलों को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है.

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अनिल अंबानी समूह की कंपनियां वर्तमान में जांच के दायरे में सबसे बड़े कॉर्पोरेट ऋण यानी कर्ज धोखाधड़ी मामलों में से एक हैं. 17,000 करोड़ रुपये के इस बड़े डिफॉल्ट ने भारत के हाल के इतिहास के कुछ सबसे बड़े कॉर्पोरेट कर्ज धोखाधड़ी मामलों को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है, जिससे बैंक कर्ज वसूली और कॉर्पोरेट गवर्नेंस में लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

इस जांच में अनिल अंबानी ग्रुप की जटिल वित्तीय लेन-देन शामिल हैं, जिनमें बैंकरों के साथ कथित लेन-देन, शेल कंपनियों के माध्यम से किए गए संदिग्ध निवेश और जाली बैंक गारंटी शामिल हैं.

जैसे-जैसे ED अपनी जाँच का विस्तार कर रहा है, ग्रुप के प्रमुख अधिकारियों को तलब कर रहा है और कई बैंकों से विवरण मांग रहा है. ऐसे में सबका ध्यान ध्यान पिछले एक दशक में भारतीय बैंकिंग प्रणाली को हिला देने वाले अन्य हाई-प्रोफाइल धोखाधड़ी मामलों की ओर जा रहा है.

भारत में शीर्ष कॉर्पोरेट कर्ज धोखाधड़ी के मामले

विजय माल्या, किंगफिशर एयरलाइंस: शराब कारोबारी ने किंगफिशर एयरलाइंस से लिए गए 9,000 करोड़ रुपये के ऋणों का भुगतान नहीं किया. बढ़ते घाटे और कुप्रबंधन के कारण आखिरकार एयरलाइन का दिवालिया हो गई. कानूनी कार्यवाही के बीच माल्या देश छोड़कर भाग गए, जिससे ये मामला भारत के सबसे कुख्यात वित्तीय घोटालों में से एक बन गया.

नीरव मोदी - पंजाब नेशनल बैंक घोटाला: नीरव मोदी के 14,000 करोड़ रुपये के घोटाले ने PNB अधिकारियों द्वारा जारी किए गए फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) से जुड़े एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया, जिससे विदेशी शाखाओं से अनधिकृत कर्ज लेना संभव हो गया. इस घोटाले ने पूरे बैंकिंग क्षेत्र को हिलाकर रख दिया और व्यापक नियामक सुधारों को जन्म दिया.

ICICI बैंक - वीडियोकॉन कर्ज मामला: 3,250 करोड़ रुपये से जुड़े इस मामले ने भारत के अग्रणी निजी क्षेत्र के बैंकों में से एक के प्रशासन और हितों के टकराव पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए. वीडियोकॉन समूह का कर्ज स्वीकृत करने में अनियमितताओं के आरोप सामने आए, जिसके बाद बैंकिंग नैतिकता की जांच शुरू हुई.

विनसम डायमंड्स: ये मामला लगभग 7,000 करोड़ रुपये के कर्ज डिफॉल्ट से जुड़ा था, जिसमें धन की हेराफेरी और निर्यात संबंधी घोटालों का संदेह था. इसने रत्न एवं आभूषण क्षेत्र को कर्ज देने में मौजूद कमजोरियों को उजागर किया.

विजय माल्या और नीरव मोदी के मामले में, ED ने ऐसे घोटालों में शामिल आर्थिक अपराधियों से बकाया राशि वसूलने में उल्लेखनीय प्रगति की है. अब तक, 22,280 करोड़ रुपये की संपत्तियां वापस प्राप्त की जा चुकी हैं, जिससे बैंकों को विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे व्यक्तियों से हुए नुकसान की भरपाई करने में मदद मिली है.

हालांकि माल्या और मोदी के प्रत्यर्पण की कार्यवाही अभी भी जारी है.

अनिल अंबानी डेट डिफॉल्ट का मामला न केवल कॉर्पोरेट कर्ज धोखाधड़ी के पैमाने को उजागर करता है, बल्कि कॉर्पोरेट रिस्पॉन्सिबिलिटी पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों के नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने का भी संकेत देता है. ED के अपनी जांच तेज करने और लुकआउट सर्कुलर जारी करने के साथ, आने वाले सप्ताह अगली कार्रवाई तय करने में महत्वपूर्ण होंगे. चाहे इससे अभियुक्तों को हिरासत में लिया जाए या उनके लिए आगे के कानूनी परिणाम भुगतने पड़ें.

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