अनिल अंबानी की मुश्किलें बढ़ रही हैं. SBI के साथ एक नकली ईमेल डोमेन से बैंक गारंटी जारी करने का मामला गरम होने लगा है. मामले से वाकिफ लोगों के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत अनिल अंबानी समूह से कथित रूप से जुड़ी 68.2 करोड़ रुपये की फर्जी बैंक गारंटी की जांच कर रहा है
सूत्रों ने बताया कि जांच में भुवनेश्वर और कोलकाता में नए सिरे से तलाशी अभियान शामिल हैं.
सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने भुवनेश्वर में बिस्वाल ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े तीन ठिकानों और कोलकाता में एक जगह पर तलाशी ली. उन्होंने बताया कि बिस्वाल ट्रेडलिंक पर 8% कमीशन के बदले फर्जी बैंक गारंटी जारी करने का आरोप है, जिसमें सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया को 68.2 करोड़ रुपये की गारंटी भी शामिल है.
ED ने कहा कि यह ताजा कार्रवाई अनिल अंबानी समूह पर हाल ही में की गई छापेमारी के दौरान मिले सबूतों पर आधारित है. जांचकर्ताओं ने फर्जी बैंक गारंटी को रिलायंस NU BESS प्राइवेट लिमिटेड और महाराष्ट्र एनर्जी जेनरेशन लिमिटेड से जोड़ा है. कथित तौर पर एक नकली ईमेल डोमेन, s-bi.co.in का उपयोग भारतीय स्टेट बैंक की नकल करने और SECI को गुमराह करने के लिए किया गया था.
एजेंसी ने कहा कि समूह ने पहचान से बचने के लिए टेलीग्राम के गायब होने वाले संदेशों की सुविधा का इस्तेमाल किया. कई फर्जी खाते और करोड़ों रुपये के संदिग्ध लेनदेन भी जांच के दायरे में हैं. ईडी ने कहा कि बिस्वाल ट्रेडलिंक एक फर्जी कंपनी के रूप में काम करती थी, जिसे फर्जी बिलिंग के एक नेटवर्क का समर्थन प्राप्त था.
अनिल अंबानी को भी पूछताछ के लिए तबल किया
ये जांच अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनियों द्वारा कथित वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े एक व्यापक मामले का हिस्सा है. ईडी ने रिलायंस समूह के अध्यक्ष को 5 अगस्त को पूछताछ के लिए तलब किया है. यह पूछताछ 24 जुलाई को कई जगहों पर तीन दिनों तक चली तलाशी के बाद हुई है, जिसमें अंबानी की कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों सहित 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों को निशाना बनाया गया था.
यह जांच 2017 और 2019 के बीच यस बैंक द्वारा रिलायंस समूह की कंपनियों को जारी किए गए ऋणों पर केंद्रित है. ईडी इस बात की जाँच कर रहा है कि क्या इन ऋणों के कुछ हिस्सों का दुरुपयोग किया गया था और क्या यस बैंक के प्रमोटरों ने उन्हें मंजूरी देने से पहले वित्तीय लाभ प्राप्त किया था.
रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने 26 जुलाई को अलग-अलग स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में कहा कि इस जांच का उनके व्यवसाय या वित्तीय स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.