नुवामा का कहना है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के नए गोल्ड लोन के नियमों से गोल्ड फाइनेंस सेक्टर की ग्रोथ पर असर पड़ सकता है. इन नियमों में लोन-टू-वैल्यू (LTV) रेश्यो को लेकर सख्ती की गई है, जिसका असर बैंकों से ज्यादा नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) पर होगा.
हालांकि अधिकतम LTV अभी भी 75% ही है, लेकिन अब गोल्ड कंजंप्शन बुलेट लोन के लिए ब्याज को भी LTV में जोड़ा जाएगा. ये बैंकों और NBFCs दोनों के लिए नया नियम है.
सख्त LTV नियम और रिन्यूअल की शर्तें
बैंकों के लिए 75% LTV (loan-to-value ratio) की सीमा सिर्फ कंजंप्शन लोन पर लागू होती है, जबकि NBFCs के लिए ये कंजंप्शन और इनकम जनरेशन, दोनों तरह के लोन पर लागू होगी.
अगर LTV 75% से ऊपर 30 दिन से ज्यादा रहता है, तो लेंडर्स को कुल लोन अमाउंट का 1% प्रोविजन करना होगा. ये प्रोविजन तब हटेगा, जब LTV 75% या उससे कम हो जाए और एक महीने तक ऐसा बना रहेगा.
नुवामा के मुताबिक, पहले बाजार को डर था कि RBI लोन की मैच्योरिटी पर ब्याज और प्रिंसिपल, दोनों चुकाने की शर्त लगा सकता है. लेकिन नए नियमों में परफॉर्मिंग गोल्ड लोन को रिन्यू या टॉप अप करने की इजाजत है, बशर्ते रोलओवर से पहले ब्याज चुका दिया जाए. ये LTV लिमिट और नए क्रेडिट बढ़ाने में उपलब्ध हेडरूम के आधार पर होगा.
गोल्ड लोन को अलग अलग रखें: RBI
RBI ने लेंडर्स से कहा है कि कंजंप्शन लोन और इनकम जनरेशन लोन को साफ साफ अलग रखें. सिर्फ कंजंप्शन के लिए दिए गए लोन को ही गोल्ड लोन माना जाएगा.
जो लोन खेती या बिजनेस जैसे इनकम जनरेशन के लिए होंगे, उन्हें उनके इस्तेमाल के हिसाब से क्लासिफाई करना होगा. लेंडर्स को इन दोनों कैटेगरी को अलग अलग दिखाना होगा.
इनकम जनरेशन लोन के लिए क्रेडिट जांच सिर्फ गोल्ड की वैल्यू के आधार पर नहीं होगी बल्कि, उधार लेने वाले की कमाई और बिजनेस जरूरतों के आधार पर होगी.
एनालिस्ट के मुताबिक, छोटे खेती लोन के लिए ये नया क्लासिफिकेशन मुश्किल हो सकता है. बैंकों को ऐसे लोन पर कम रिस्क वेट का फायदा मिलता है, खासकर प्रायोरिटी सेक्टर वाले खेती लोन पर, जिनका रिस्क वेट लगभग न के बराबर है. वहीं, कंजंप्शन लोन का रिस्क वेट 75% है.
गोल्ड लोन के नियम
RBI ने कहा है कि गोल्ड वैल्यूएशन के पुराने नियम लागू रहेंगे. साथ ही, गोल्ड की नीलामी और देरी या नुकसान के लिए मुआवजे के नियमों का पूरा पालन करना जरूरी है.
लेंडर्स को अपने गोल्ड स्टोरेज सिस्टम की जांच करनी होगी कि वो ठीक है या नहीं. लोन डिस्बर्समेंट के लिए IT नियमों का पालन जरूरी है. साथ ही RBI ने बैंक डिस्बर्समेंट को तरजीह दी है.