ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (Online Platform) पर फेक रिव्यू (Online Fake Reviews) का धंधा अब बंद होने वाला. देश की प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों (E-commerce Companies) ने सरकार के कंज्यूमर रिव्यू के लिए गुणवत्ता मानदंडों का अनिवार्य कंप्लायंस के प्रस्ताव का समर्थन करने का फैसला किया है. अभी तक फेक रिव्यूज को रोकने का काम ऑनलाइन कंपनियां अपने तरीके से ही कर रहीं थीं, लेकिन वो उतना कारगर साबित नहीं हो रहा था.
ई-कॉमर्स कंपनियों का मिला साथ
उपभोक्ता मामलों के विभाग के मुताबिक बुधवार को एक बैठक हुई जिसमें अमेजन, फ्लिपकार्ट, गूगल और मेटा के प्रतिनिधियों ने 'ऑनलाइन कंज्यूमर रिव्यूज पर IS 19000:2022 स्टैंडर्ड को लागू करने के लिए प्रस्तावित क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर (QCO) का समर्थन किया.
सरकार और ई-कॉमर्स कंपनियों के बीच इस बात की सहमति थी कि उपभोक्ता हितों को शॉपिंग वेबसाइट्स और ऐप्स पर भ्रामक रिव्यूज से बचाने के लिए ये आदेश बहुत महत्वपूर्ण है, इसमें कहा गया है कि ड्राफ्ट ऑर्डर लोगों के बीच चर्चा के लिए रखा जाएगा.
विभाग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया 'IS 19000:2022 के लिए क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर की दिशा में आगे बढ़ने पर चर्चा का इससे जुड़े लोगों ने स्वागत किया है. सभी हितधारकों के बीच आम सहमति थी कि ऑनलाइन खरीदारी करते समय उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए फर्जी रिव्यूज का मुद्दा महत्वपूर्ण है, और इस पर कड़ी निगरानी रखने की जरूरत है.'
क्यों जरूरी हैं ये स्टैंडर्ड?
उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा, 'ये स्टैंडर्ड बहुत जरूरी हैं क्योंकि ऑनलाइन खरीदार इन समीक्षाओं पर बहुत ज्यादा निर्भर होते हैं, क्योंकि वो प्रोडक्ट्स को फिजिकली देख नहीं सकते उसकी जांच नहीं कर सकते हैं. ऐसे में फर्जी रिव्यू न सिर्फ ई-कॉमर्स प्लेटफार्म की विश्वसनीयता को खतरे में डालते हैं बल्कि उपभोक्ताओं की गलत खरीदारी का कारण भी बनते हैं.'
उपभोक्ता मामलों के विभाग ने ये कदम तब उठाया है जब कंपनियां अपनी तरफ से फर्जी रिव्यू पर लगाम लगाने में असफल रही हैं. इसके अलावा ई-कॉमर्स से जुड़ी उपभोक्ता शिकायतों में हो रही बढ़ोतरी भी इसकी एक वजह है. आंकड़ों के मुताबिक 2018 में जहां ये शिकायतें 95,270 थीं वहीं 2023 में ये बढ़कर 4,44,034 हो गईं. ये अबतक दर्ज हुई कुल शिकायतों का 43% है.
एक साल पहले, सरकार ने ई-टेलर्स के लिए क्वालिटी नियम जारी किए थे. उन्हें पेड रिव्यू प्रकाशित करने से रोका था और ऐसी प्रचार सामग्री का खुलासा करने की मांग की थी. लेकिन ये नियम या मानदंड स्वैच्छिक थे और ई कॉमर्स कंपनियों ने इन पर अमल नहीं किया.