भारतीयों की सेहत से खिलवाड़ अब नहीं! Lay's चिप्स में पॉम ऑयल का इस्तेमाल बंद करेगी पेप्सिको

पेप्सिको अमेरिका में हार्ट हेल्दी ऑयल का इस्तेमाल स्नैक्स बनाने में काम करती है, लेकिन भारत में सस्ते पॉम ऑयल से बनते हैं प्रोडक्ट्स

प्रतीकात्मक फोटो

ॉपेप्सिको इंडिया ने लेज (Lay's) में पॉम ऑयल की जगह अब सनफ्लॉवर ऑयल के इस्तेमाल की ट्रायल शुरू कर दी है. दरअसल पॉम ऑयल को स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह माना जाता है, लेकिन इसकी कीमत कम होने के चलते प्रोसेस्ड फूड इंडस्ट्री में इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है.

ट्रायल की जानकारी इकोनॉमिक टाइम्स ने एक रिपोर्ट में दी है. अब तक पेप्सिको भारत में अपने प्रोडक्ट्स में पॉमोलीन और पॉम ऑयल का ब्लेंड उपयोग कर रही थी. अब कंपनी पॉमोलीन के साथ सनफ्लॉवर ऑयल के ब्लेंड का इस्तेमाल करेगी.

अमेरिका में हार्ट हेल्दी ऑयल का इस्तेमाल

रिपोर्ट के मुताबिक पेप्सिको के हेडक्वार्टर और सबसे बड़े बाजार अमेरिका में कंपनी स्नैक्स और बेवरेजेज में 'हार्ट हेल्दी' ऑयल का इस्तेमाल करती है. इसके तहत लेज में सनफ्लॉवर, कॉर्न और कैनोला ऑयल उपयोग होते हैं.

कंपनी वेबसाइट के मुताबिक, 'इन ऑयल में अच्छे मोनो और पॉली अनसैचुरेटेड फैट्स होते हैं, जो LDL बैड कोलेस्टोरोल को कम करते हैं और HDL गुड कोलेस्टोरोल के स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं.'

अखबार से बात करते हुए कंपनी के प्रवक्ता ने ये भी बताया कि इंडिया यूनिट अपने स्नैक्स में नमक की मात्रा कम करने पर भी काम कर रही है, इसके तहत 2025 तक सोडियम की मात्रा 1.3 mg से कम करने की कोशिश है. हम इस लक्ष्य की तरफ अच्छे ढंग से प्रगति कर रहे हैं.'

भारत में धड़ल्ले से हो रहा है पॉम ऑयल का इस्तेमाल

भारत में तमाम फूड ब्रैंड्स, चाहे वे साल्टी स्नैक्स, बिस्किट, चॉकलेट, नूडल्स, ब्रेड्स या आइसक्रीम समेत अन्य खाद्य पदार्थों के हों, इनमें पॉम ऑयल का जबरदस्त इस्तेमाल होता है.

भारत दुनिया का सबसे बड़ा पॉम आयातक देश है. ट्रेंड इकोनॉमी के मुताबिक, 2022 में दुनिया का 23% पॉम ऑयल भारत ने आयात किया, जबकि दूसरे नंबर पर चीन (11.4%), तीसरे पर पाकिस्तान (7.47%) और चौथे पर अमेरिका (4.75%) है. भारत पॉम ऑयल इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से आयात करता है.

भारत में दोयम दर्जे के प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल के लगे आरोप

हाल में नेस्ले में विकसित देशों और विकासशील देशों के बेबी प्रोडक्ट्स में शुगर कंटेंट की अलग-अलग मात्रा पर बड़ा हंगामा हुआ था.

इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि भारत और अन्य विकासशील देशों में नेस्ले के सेरेलेक समेत अन्य बेबी फूड प्रोडक्ट में कम न्यूट्रीएंट्स और ज्यादा शुगर है. हाल में नेस्ले ने बताया कि भारत में सेरेलेक में नो शुगर वेरिएंट पर भी काम किया जा रहा है.

नेस्ले मैगी को लेकर भी 2015 में विवादों में घिर चुकी है. तब मैगी में लेड पाया गया था, जिसके बाद कई राज्यों में इसे बैन कर दिया गया था.

इसी तरह बॉर्नविटा बनाने वाली कैडबरी के स्वामित्व वाली कंपनी मोंडेलेज भी शुगर कंटेंट को लेकर विवादों में घिरी थी. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बॉर्नविटा में जरूरत से ज्यादा शुगर होने की शिकायत पर कंपनी को नोटिस भेजा था. आरोप लगाया गया था कि बॉर्नविटा के 100 ग्राम में 37.4 ग्राम तक शुगर कंटेंट है. इसके बाद बॉर्नविटा में शुगर कंटेंट घटाया गया था.

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