SEBI-सहारा केस फिर टला, सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर फंस गया मामला! बढ़ा निवेशकों का इंतजार

सुप्रीम कोर्ट ने SEBI को निर्देश दिया था कि वो सहारा की वर्सोवा संपत्ति को बेचने के लिए दिए गए लैंड डेवलपमेंट एग्रीमेंट्स की समीक्षा करे.

Source: NDTV Profit Gfx

सहारा ग्रुप के उन निवेशकों को एक और झटका लगा है, जो अपनी रकम वापस पाने का इंतजार कर रहे हैं. SEBI-सहारा मामले में रिजॉल्यूशन प्रक्रिया फिर से टल गई है, कारण कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक नया आदेश जारी किया है. मामले की अगली सुनवाई 2 अप्रैल को होगी.

पिछली सुनवाई में, सुप्रीम कोर्ट ने SEBI को निर्देश दिया था कि वो सहारा की वर्सोवा संपत्ति को बेचने के लिए दिए गए लैंड डेवलपमेंट एग्रीमेंट्स की समीक्षा करे.

दो कंपनियों (ओबेरॉय रियल्टी लिमिटेड और वेलर एस्टेट लिमिटेड) ने इस जमीन के विकास के लिए प्रस्ताव दिए थे. कोर्ट ने इन दोनों कंपनियों को डिमांड ड्राफ्ट के जरिए 1,000 करोड़ रुपये जमा करने को कहा था और ये भी साफ किया था कि जब तक अंतिम फैसला नहीं होता, तब तक ये रकम भुनाई नहीं जाएगी.

ओबेरॉय रियल्टी ने 1,000 करोड़ रुपये जमा कर दिए, लेकिन वेलर रियल्टी ऐसा नहीं कर पाई.

क्या है नई रुकावट?

बुधवार को, कोर्ट की ओर से नियुक्त वकील (एमिकस क्यूरी) ने बताया कि ओबेरॉय रियल्टी के विकास प्रस्ताव को स्वीकार करने में दिक्कत हो रही है क्योंकि वर्सोवा की इस जमीन की पर्यावरणीय स्थिति (Environmental Status) को लेकर कुछ चिंताएं हैं.

अब सुप्रीम कोर्ट ने ये जानकारी मांगी है कि ये जमीन मैंग्रोव (वनस्पति) क्षेत्र में आती है या नहीं. इसलिए, कोर्ट ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को इस संपत्ति की वर्तमान पर्यावरणीय स्थिति बताने का निर्देश दिया है.

संपत्ति का सही मूल्य निकालने की कोशिश

कोर्ट इस बात की जांच कर रहा है कि इस संपत्ति से अधिकतम मूल्य कैसे निकाला जा सकता है. इसी कारण, कोर्ट ने ओबेरॉय रियल्टी की ओर से जमा किए गए 1,000 करोड़ रुपये वापस करने का भी आदेश दिया.

साथ ही, कोर्ट ने सहारा और SEBI के प्रतिनिधियों की एक बैठक बुलाने का निर्देश दिया है. इस बैठक में दो संपत्ति सलाहकार भी होंगे, जो ये तय करेंगे कि वर्सोवा की जमीन को कैसे बेचा जाए ताकि अधिकतम कीमत मिल सके. अब 2 अप्रैल को अगली सुनवाई होनी है.

फंसा हुआ है निवेशकों का पैसा

अगस्त 2012 में, सुप्रीम कोर्ट ने दो सहारा कंपनियों (सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्प और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प) को 2 करोड़ से ज्यादा छोटे निवेशकों को 24,000 करोड़ रुपये 15% ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया था. इन निवेशकों ने 2008 से 2011 के बीच इन कंपनियों में अपने पैसे लगाए थे.

SEBI ने पाया था कि सहारा ने ये रकम नियमों का उल्लंघन करके जुटाई थी. बाद में, सहारा को निवेशकों की रकम वापस करने के लिए SEBI के पास करीब 25,000 करोड़ रुपये जमा करने के लिए कहा गया था. लेकिन सहारा का कहना था कि उसने 95% निवेशकों को पहले ही सीधे पैसा लौटा दिया.

SEBI का दावा, सहारा पर बढ़ता दबाव

2020 में, SEBI ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सहारा से 62,000 करोड़ रुपये वसूलने की मांग की थी.

सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय का नवंबर 2024 में निधन हो गया, लेकिन SEBI ने साफ किया कि मामला अब भी जारी रहेगा. SEBI की तत्कालीन चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने कहा था कि ये केवल किसी व्यक्ति का मामला नहीं, बल्कि एक कंपनी की जिम्मेदारी का सवाल है.

अब तक, सहारा ने SEBI को 25,000 करोड़ रुपये में से केवल 15,000 करोड़ रुपये ही लौटाए हैं. ये मामला अब भी जारी है और 2 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट इसमें आगे की सुनवाई करेगा.

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