स्पाइसजेट के अजय सिंह ने बिजी बी के साथ मिलकर गो-फर्स्ट के लिए लगाई संयुक्त बोली

IBC कोड के तहत स्पाइसजेट MD अजय सिंह और शारजाह की स्काई वन ने अधिग्रहण के लिए अपनी अर्जी दाखिल की है.

Source: Reuters

कर्ज की गहराई में गोते लगा रही गो-फर्स्ट (GoFirst) को बचाने के लिए दो विमान कंपनियों ने अपना आवेदन दाखिल किया है. इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत स्पाइसजेट के MD अजय सिंह ने बिजी बी एयरवेज के साथ गो-फर्स्ट के लिए बोली दी है.

स्पाइसजेट ने इसकी जानकारी एक्सचेंज फाइलिंग के जरिए दी है.

डूबते गो-फर्स्ट को अधिग्रहण के लिए शारजाह की स्काई वन ने भी बोली लगाई है. NDTV Profit को सूत्रों से ये जानकारी मिली.

इस हफ्ते आवेदन की प्रक्रिया खत्म हो गई है और अब अगले हफ्ते आवेदन दाखिल किया जा सकता है.

लेंडर्स इन बोलियों की समीक्षा करेंगे और उसके बाद ही कोई फैसला लेंगे.

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अजय सिंह का आवेदन आश्चर्य की बात

एविएशन की खबरों के न्यूज प्लेटफॉर्म लाइवफ्रॉमअलाउंज के फाउंडर व एडिटर अजय ऑटनी ने NDTV Profit से बातचीत में कहा, 'ये देखना आश्चर्य की बात है कि स्पाइसजेट के मैनेजिंग डायरेक्टर अजय सिंह का रुख गोफर्स्ट को खरीदने पर है, लेकिन मुश्किलों से जूझ रही स्पाइसजेट के लिए नहीं है'.

आने वाले मार्च 2024 तक स्पाइसजेट ने 15% कर्मचारियों की छंटनी का फैसला किया है. कंपनी अपने खर्च को कम करने के लिहाज से ये फैसला ले रही है.

एक शख्स ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि एयरलाइन कंपनी को जितने वर्कफोर्स की जरूरत है, उससे ज्यादा ही कर्मचारी फिलहाल कंपनी के पास हैं. कंपनी के पास कोविड के पहले 120 एयरक्राफ्ट हुआ करते थे, जो अब घटकर 40 रह गए हैं.

स्पाइसजेट की माली हालत

कैश की कमी से जूझती स्पाइसजेट ने 3.0 के तहत 900 करोड़ रुपये के ओवरहॉल का प्लान बनाया है. कंपनी अपने खर्चों में कमी करेगी और ऑपरेशनल फ्रंट पर सुधार करेगी. कंपनी का फोकस खुद को अपग्रेड करने और परफॉर्मेंस सुधारने पर है.

कंपनी ने जनवरी में 744 करोड़ रुपये की पहली खेप मिली थी. इसके बाद कंपनी ने 64 निवेशकों को अपनी सिक्योरिटीज देकर 2,250 करोड़ रुपये जुटाए थे.

कंपनी का ये रिवाइवल प्लान उस वक्त आया है, जब कंपनी अपने खराब ऑपरेशनल परफॉर्मेंस, कमजोर फाइनेंशियल और कोर्ट में कई याचिकाओं से जूझ रही है.

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कैसे डूबी GoFirst?

गो-फर्स्ट (GoFirst) की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, कंपनी इंजन की समस्याओं से जूझ रही थी. कंपनी के पास पर्याप्त मात्रा में इंजन नहीं थे, जिसकी उसको जरूरत थी. कंपनी ने इसके लिए प्रैट एंड व्हिटनी (Pratt & Whitney) के समस्याग्रस्त इंजनों को जिम्मेदार ठहराया.

कंपनी की इन समस्याओं के चलते दिसंबर 2019 तक 7%, दिसंबर 2020 तक 31% और दिसंबर 2022 तक 50% विमानों पर बट्टा बैठ गया. आखिरकार, 3 मई 2023 से कंपनी की फ्लाइट्स ने उड़ान बंद कर दी.

कंपनी अब कर्ज नहीं चुका पाने के चलते इसॉल्वेंसी प्रक्रिया से जूझ रही है.