जी एंटरटेनमेंट (Zee Entertainment) के पूर्व CEO पुनीत गोयनका के खिलाफ, SEBI का आदेश जी-सोनी मर्जर के आड़े नहीं आना चाहिए, ये कहना है NCLT का जिसने 10 अगस्त को ही इस मर्जर को मंजूरी दी है. ट्रिब्यूनल ने कहा कि मार्केट रेगुलेटर ने हाल ही में ये आदेश दिया था और इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता था. ये जी और सोनी के बीच मर्जर को लेकर हुए समझौते के काफी बाद आया आदेश है.
NCLT ने क्या-क्या कहा?
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने गुरुवार को जी एंटरटेनमेंट और सोनी पिक्चर्स के बीच मर्जर को मंजूरी दी थी. NCLT ने कहा कि स्कीम की मंजूरी के बाद सोनी पिक्चर्स के पास अपने बोर्ड के स्तर पर इस मामले पर विचार हर अधिकार है, जो SEBI के अंतिम आदेश पर निर्भर है.
NCLT ने ये भी कहा कि इसके साथ, बेंच के फैसले का ये मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि स्कीम के तहत पुनीत गोयनका की नियुक्ति को मंजूरी दी जाए, क्योंकि ये मामला विचाराधीन है.
SEBI के गोयनका के खिलाफ आदेश के अलावा जी-सोनी मर्जर में दूसरी रूकावट को भी NCLT में नहीं माना गया. एसेल ग्रुप के कई क्रेडिटर्स ने स्कीम में नॉन-कंपीट क्लॉज पर ऐतराज जताया था. उनका तर्क था कि ये उनके साथ फ्रॉड करने का तरीका है.
क्लॉज के मुताबिक, एसेल मॉरीशस को SPE मॉरीशस से नॉन-कंपीट फीस के तौर पर 1,100 करोड़ रुपये मिले थे. ट्रिब्यूनल ने कहा कि जी-सोनी मर्जर पर ऐतराज जताने वाली पार्टियां जी की डायरेक्ट क्रेडिटर्स नहीं हैं. इसके अलावा उनके पास कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट नहीं है. उनके दावे एसेल ग्रुप की दूसरी कंपनियों के खिलाफ हैं.