कमजोर मॉनसून का कृषि उत्पादन और आर्थिक वृद्धि पर बड़ा असर नहीं : रिजर्व बैंक

रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि मॉनसून की शेष अवधि (जून से सितंबर) में बारिश यदि सामान्य भी रहती है, तो कुछ कमी तो रहेगी, लेकिन इसका अर्थव्यवस्था पर बुरा असर नहीं पड़ेगा।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि कमजोर मॉनसून का देश के कृषि उत्पादन और अर्थव्यवस्था पर सीमित असर ही रहेगा, क्योंकि पिछले एक महीने के दौरान बारिश की स्थिति में काफी सुधार हुआ है।

रिजर्व बैंक की गुरुवार को जारी 2013-14 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि मॉनसून की शेष अवधि (जून से सितंबर) में बारिश यदि सामान्य भी रहती है, तो कुछ कमी तो रहेगी, लेकिन इसका अर्थव्यवस्था पर बुरा असर नहीं पड़ेगा।

रिपोर्ट में कहा गया है, आर्थिक वृद्धि, मुद्रास्फीति, वित्तीय और व्यापार घाटे के मामले में कमजोर मॉनसून का प्रतिकूल असर सीमित रहने की संभावना है। मौजूदा स्थिति के अनुसार मात्रात्मक और गुणात्मकता के लिहाज से कमी वर्ष 2009 के मुकाबले काफी कम रहने की संभावना है।

अखिल भारतीय स्तर पर 13 अगस्त की स्थिति के अनुसार दीर्घकालिक औसत के हिसाब से बारिश की कमी 18 प्रतिशत रही है, जबकि इसी अवधि में पिछले साल इसमें 12 प्रतिशत अधिकता थी। मॉनसून की स्थिति में 13 जुलाई के बाद काफी सुधार हुआ है। तब मॉनसून में 43 प्रतिशत कमी दर्ज की गई थी। कृषि उत्पादन के लिए मॉनसून काफी महत्वपूर्ण है।

रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि खरीफ फसल के तहत बुवाई क्षेत्रफल सामान्य से 2.3 प्रतिशत कम रहा है, लेकिन वर्ष 2009 में जब देश में सूखा पड़ा था, उसके मुकाबले वर्तमान क्षेत्रफल 8.9 प्रतिशत अधिक है।

रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच साल के दौरान खरीफ और रबी मौसम की फसलें करीब-करीब बराबर हो गई हैं। औसत आधार पर पिछले पांच साल के दौरान रबी मौसम की फसल कुछ खाद्यान्न उत्पादन का 50.7 प्रतिशत रहा है। बुवाई के आंकड़ों के आधार पर अब यह लगता है कि उत्पादन में कमी मुख्यतौर पर मोटे अनाज, दलहनों के स्तर पर रह सकती है।

रिजर्व बैंक ने कहा है कि जलाशयों में पानी का स्तर संतोषजनक स्तर पर है। 13 अगस्त की स्थिति के अनुसार देश के 85 प्रमुख जलाशयों में पिछले 10 साल के औसत स्तर के मुकाबले 14 प्रतिशत अधिक जल है, हालांकि पिछले साल इसी तिथि के मुकाबले यह 12 प्रतिशत कम है। केंद्रीय बैंक के अनुसार यदि मॉनसून शेष अवधि में फिर कमजोर पड़ता है, तो जलस्तर में कमी के कारण बिजली उत्पादन पर हल्का असर पड़ सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जलविद्युत उत्पादन में पिछले साल दर्ज की गई 18.6 प्रतिशत वृद्धि के मुकाबले कुछ कमी आने की संभावना के बावजूद विद्युत उत्पादन में कुल मिलाकर स्थिति उत्साहवर्धक बनी हुई है। ताप विद्युत क्षेत्र में वर्ष के दौरान स्थापित क्षमता में 8.9 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है। देश के कुल विद्युत उत्पादन में ताप विद्युत का 82 प्रतिशत योगदान है। वर्ष के दौरान परमाणु बिजली की स्थापित क्षमता में भी 41.8 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है।

लेखक NDTV Profit Desk
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