फिर रुलाएगा प्याज, सूखे की मार से रोपाई कम

महाराष्ट्र और गुजरात के विभिन्न इलाकों में बारिश की कमी का असर प्याज की खेती पर हो रहा है और वहां प्याज की खेती वाले इलाकों में इसकी रोपाई आधी रह गई है।

महाराष्ट्र और गुजरात के विभिन्न इलाकों में बारिश की कमी का असर प्याज की खेती पर हो रहा है और वहां प्याज की खेती वाले इलाकों में इसकी रोपाई आधी रह गई है। प्याज का रकबा घटने से आगामी अक्टूबर-दिसंबर में प्याज की आपूर्ति पर पड़ सकता है। फिलहाल प्याज की खुदरा कीमत दिल्ली और देश के अन्य भागों में 10 से 15 रुपये प्रति किलो है।

आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) के राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान विकास फाउंडेशन के निदेशक आरपी गुप्ता ने कहा कि महाराष्ट्र के नासिक और गुजरात के प्याज उत्पादक क्षेत्रों में इसकी रोपाई का रकबा लगभग 50 फीसदी कम है। यह पूछने पर कि क्या पिछले कुछ दिन की बारिश से हालात सुधर सकते हैं, तो उन्होंने कहा कि इससे पिछैती प्याज की खेती में मदद मिल सकती है। पिछैती प्याज दिसंबर में उखाड़ी जाती है।

गुप्ता ने कहा, फिलहाल हमारे पास प्याज का पर्याप्त भंडार है, जिससे अक्टूबर की घरेलू मांग पूरी होगी। लेकिन खरीफ प्याज की बुवाई कम होने के कारण अक्टूबर से दिसंबर के बीच प्याज की कमी हो सकती है। खरीफ प्याज की रोपाई 15 जुलाई से 15 अगस्त तक चलती है।

फाउंडेशन के निदेशक ने कहा कि फिलहाल देश में 18 लाख प्याज का भंडार है। निर्यात के लिए घरेलू बाजार के लिए हर महीने करीब तीन-चार लाख टन प्याज की जरूरत होती है। एपीएमसी (पिंपलगांव) के अध्यक्ष दिलिप राव बांकर ने कहा कि कम बारिश और फसल की कम कीमत के कारण नासिक क्षेत्र के कुछ किसानों ने प्याज की जगह सोयाबीन और मोटे अनाज बोये हैं।

लेखक NDTV Profit Desk
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