वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने रिजर्व बैंक को परोक्ष रूप से एक संदेश देते हुए कहा है कि केन्द्रीय बैंक को केवल महंगाई पर नियंत्रण तक ही अपने को सीमित नहीं रखना चाहिए बल्कि उसे आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन जैसे व्यापक दायित्वों पर भी गौर करना चाहिए।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के साथ होने वाली अपनी बैठक से पहले वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों को दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने के बारे में संतुलित रुख अपनाने का सुझाव देने से पहले उनके विचार भी सुने जाने चाहिए।
चिदंबरम ने कहा ‘रिजर्व बैंक को अपने कार्य क्षेत्र को व्यापक दायरे में समझना चाहिए। यह सही है कि रिजर्व बैंक का काम मूल्यों में स्थिरता, मुद्रास्फीति पर अंकुश और राजकोषीय स्थिरता बनाए रखना है लेकिन इन बातों को वृद्धि और रोजगार सृजन जैसे व्यापक परिप्रेक्ष में देखा जाना चाहिए।’ चिदंबरम से पूछा गया था कि उन्हें रिजर्व बैंक की 30 जुलाई को होने वाली मौद्रिक नीति की समीक्षा से क्या उम्मीद है।
चिदंबरम इससे पहले कुछ मौकों पर रिजर्व बैंक गवर्नर डी. सुब्बराव द्वारा ब्याज दरों में मामूली कटौती किये जाने पर अपनी नाराजगी छुपा नहीं सके हैं।
फेडरल प्रमुख बेन बर्नान्नके के हाल के वक्तव्य के बारे में पूछे जाने पर चिदंबरम ने कहा ‘मेरा मानना है कि सभी केन्द्रीय बैंक बहुत गोलमोल तरीके से ही बात करते हैं लेकिन इस मामले में मेरा मानना है कि उस वक्तव्य में कुछ भी गलत नहीं है।’ बर्नान्नके के वक्तव्य बाद दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बाजारों में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। उन्होंने कहा था कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार आने के साथ ही बॉंड खरीद कार्यक्रम जैसे प्रोत्साहन उपायों को धीरे धीरे वापस लिया जाएगा।