पी चिदंबरम ने आलोचनाओं को खारिज किया, कहा, संप्रग ने अर्थव्यवस्था को संभाला है

वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने संप्रग के आर्थिक प्रबंध के आलोचकों को खारिज करते हुए कहा कि इस सरकार ने अर्थव्यवस्था को कठिन परिस्थितियों से 'उबारा' है और इसे पुन: उच्च वृद्धि की राह पर स्थापित किया है।

फाइल फोटो

वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने संप्रग के आर्थिक प्रबंध के आलोचकों को खारिज करते हुए कहा कि इस सरकार ने अर्थव्यवस्था को कठिन परिस्थितियों से 'उबारा' है और इसे पुन: उच्च वृद्धि की राह पर स्थापित किया है।

चिदंबरम ने कल पेश 2014-15 के अंतरिम बजट को लोकप्रियता हासिल करने की कवायद बताए जाने को भी खारिज किया और कहा कि सरकार अन्य देशों की तरह पिछले एक-दो साल से लगातार कोशिश कर रही है कि संकट के समय में स्थितियों को कैसे संभाला जाए।

चिदंबरम ने कहा, ‘साफ बात यह है कि हम पिछले एक-दो साल से दुनिया की अन्य सरकारों की तरह ही एक तरह से बचाव के काम में लगे हुए हैं। मुझे यह कहते हुये तकलीफ होती है कि हम इसमें अकेले नहीं हैं।’

उन्होंने कहा, ‘हर वित्तमंत्री यही कह रहा है कि वह बचाव के काम में लगा हुआ है, इसलिए मैंने 2013 के बजट में जो किया और 2014 के अंतरिम बजट में जो प्रस्ताव मैंने किए हैं, उन्हें अर्थव्यवस्था को ऐसे समय आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर पुन: स्थापित करने के प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए, जबकि विश्व अर्थव्यवस्था की स्थिति नाजुक है। मुझे लगता है कि हम इस प्रयास में काफी कुछ कामयाब रहे हैं।’’

वित्तमंत्री चिदंबरम ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था ने पहली तिमाही में 4.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, दूसरी तिमाही में यह 4.8 प्रतिशत हो गयी और सीएसओ (केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन) के अनुमानों के अनुसार तीसरी और चौथी तिमाही में वृद्धि दर 5.2 प्रतिशत रहने की संभावना है।

वित्तमंत्री से जब यह पूछा गया कि वह अपने बजट को किस तरह से परिभाषित करना चाहेंगे, तो उन्होंने कहा, ‘पिछले 18 महीनों में इक्के-दुक्के देश ही ऐसा करने में कामयाब रहे हैं। इसलिए मैं यह नहीं कहता कि जो कुछ हासिल हुआ है, उससे मैं पूरी तरह से खुश हूं, लेकिन मैं यह जरूर कहूंगा कि हमने जो लक्ष्य निर्धारित किए थे, उसमें हमें काफी कामयाबी हासिल हुयी है। मैंने अपने बजट भाषण के आखिर में जो दस सूत्रीय एजेंडा पेश किया है, यदि आगे आने वाली सरकारों ने उस पर अमल किया तो अर्थव्यवस्था पुन: उच्च वृद्धि की राह पर आ जाएगी।’

उनसे कहा गया है कि आपके आलोचक कहते हैं कि भारत की समस्या केवल विदेश जनित नहीं है, तो उन्होंने कहा, ‘मं भी ऐसा नहीं कह रहा हूं लेकिन आज जो समस्या भारत के सामने है, और जो समस्या दुनिया के देश झेल रहे हैं, वह मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय परिस्थतियों के कारण है।’

चिदंबरम ने माना कि पिछले समय में कुछ गलतियां जरूर हुई हैं।

चूक कहां हुई, इस सवाल पर वित्तमंत्री ने अर्थशास्त्री टीएन श्रीनिवासन के एक लेख का उल्लेख किया जिसमें कहा गया है कि 2008 के बाद का पहला वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज तो संभवत: जररी था पर गहराई से विश्लेषण किया जाए तो दूसरे और तीसरे प्रोत्साहन पैकेजों की आवश्यकता नहीं थी।

वित्तमंत्री ने साथ में यह भी जोड़ा कि, ‘‘लेकिन यह टिप्पणी तो बाद की बात है। उस समय जो परिस्थितियां थीं, उन्हें जो आंकड़े उपलब्ध थे उनके आधार पर तीन प्रोत्साहन पैकेजों का निर्णय लिया गया।

चिदंबरम ने कहा, ‘इन तीन पैकेजों से साफ साफ फायदे हुए। आर्थिक वृद्धि दर 8 प्रतिशत से उपर थी। पर समस्या राजकोषीय घाटे की हो गई। यह सीमा से ऊपर चला गया तथा मुद्रास्फीति करीब करीब बेकाबू हो गयी। बाद में कुछ चीजें साफ दिखने लगी हैं। लेकिन आदमी तो आदमी है, वह घड़ी को पीछे नहीं घुमा सकता।'

यह पूछे जाने पर कि अब जब कि सब कुछ बीत चुका है, वह क्या सोचते हैं कि गलती कहां हुई तो वित्त मंत्री ने कहा, ‘बात बीच जाने के बाद में यही कहना चाहूंगा कि उस समय भले ही आर्थिक रफ्तार मंद पड़ रही थी पर हमें संभत: राजकोषीय स्थिति को मजबूत बनाए रखना चाहिए था और कहीं ढील देनी भी थी तो वह हल्की और थोड़े समय के लिए होनी चहिए थी।’

चिदंबरम ने कहा कि वह अपने उत्तराधिकारी के लिए एक ऐसी अर्थ व्यवस्था छोड़ेंगे जो 'बेहतर', अधिक मजबूत और संतुलित तथा वृद्धि कर रही अर्थव्यवस्था होगी।

उन्होंने कहा इसके साथ ही आपके सामने उथल पुथल भरी दुनिया भी होगी। उन्होंने कहा कि सामान्यत: लेखानुदान एक आयी गयी घटना होती है पर इस बार के अंतरिम बजट पर जो प्रतिक्रिया आयी है उससे लगता है कि हमने जरूर कुछ किया है जिस पर सार्थक और आलोचकों दोनों का ध्यान आकृष्ट हुआ है। हमने बजट में जो बातें की हैं वे सही जगह पहुंची हैं।’’
 

लेखक NDTV Profit Desk
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