मुश्किलों के बावजूद सोलर डिमांड में उछाल के चलते भारतीय सोलर कंपनियों ने बढ़ाई क्षमता

भारत की सोलर मॉड्यूल क्षमता FY28 तक 150GW और सेल क्षमता 60GW तक पहुंच सकती है.

घरों में सोलर की बढ़ती मांग को देखते हुए क्षमता विस्तार योजनाओं के साथ भारतीय सोलर मैन्युफैक्चरर अच्छी ग्रोथ के लिए तैयार हैं. दिलचस्प ये है कि ग्लोबल कंपटीशन और व्यापार में बाधाओं के बावजूद कंपनियां ग्रोथ को लेकर बहुत आश्वस्त हैं.

पिछले हफ्ते, प्रीमियर एनर्जीज (Premier Energies) ने IPO के लिए अर्जी दी था. कंपनी का अनुमान है कि भारत की सोलर मॉड्यूल क्षमता FY-2028 तक 150GW और सेल क्षमता 60GW तक पहुंच सकती है, जोकि वित्तवर्ष 2024 में 72GW और 8.1GW थी.

अदाणी एंटरप्राइजेज , टाटा पावर, रेजोन सोलर प्राइवेट, विक्रम सोलर और गोल्डी सोलर प्राइवेट जैसी प्रमुख कंपनियों के साथ-साथ जल्द ही वारी एनर्जीज और प्रीमियर एनर्जीज जैसी कंपनियों को मांग से इस तेजी का फायदा मिलने वाला हैं.

भारतीय सोलर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के मुख्य रूप से दो फैक्टर हैं

डोमेस्टिक फैक्टर

रिन्युएबल एनर्जी, विशेष रूप से सोलर पावर का विस्तार करने के लिए भारत सरकार का जोर इस उद्योग को गति दे रहा है. वित्त वर्ष 2018 से लेकर वित्त वर्ष 2024 तक, सोलर क्षमता सालाना 24.8% की दर से बढ़ी है. सिर्फ पिछले वित्त वर्ष में 15 GW जोड़ा गया था. प्रीमियर एनर्जीज ने वित्त वर्ष 2028 तक 24.7% वार्षिक ग्रोथ का अनुमान लगाया है.

भारत अभी भी सोलर सेल्स के लिए इंपोर्ट पर निर्भर करता है. इसे कम करने के लिए प्रमुख खिलाड़ी क्षमता विस्तार कर रहे हैं. इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (Institute for Energy Economics and Financial Analysis) और JMK रिसर्च एंड एनालिटिक्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इंपोर्ट निर्भरता वित्त वर्ष 2022 में 51% से घटकर वित्त वर्ष 2028 तक लगभग 6% हो जाएगी क्योंकि घरेलू उत्पादन बढ़ रहा है.

ग्लोबल फैक्टर

ब्लूमबर्ग के अनुसार, ग्लोबल सोलर मैन्युफैक्चरिंग तेजी से बदल रही है क्योंकि अमेरिका वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया, कंबोडिया सहित चीन के बाहर दक्षिण पूर्व एशिया के प्रमुख सोरल मैन्युफैक्चरर पर टैरिफ लगाने की तैयारी कर रहा है. इससे भारत के लिए एक्सपोर्ट के अवसर खुलते हैं.

IEEFA और JMK रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका को भारत के सोलर मॉड्यूल निर्यात में वित्त वर्ष 2026 तक वृद्धि होने की उम्मीद है और वित्त वर्ष 2028 के बाद ही गिरावट आ सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2028 के बाद अमेरिका और यूरोपीय संघ को निर्यात घट सकता है, लेकिन भारत में अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे बाजारों से अधिक मांग देखी जा सकती है.

क्षमता विस्तार योजनाएं

टॉप भारतीय सोलर मैन्युफैक्चरर ने अपने सोलर मॉड्यूल और सौर सेल उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए योजनाए बनाई है, जिसका लक्ष्य वित्त वर्ष 2025 तक अधिकांश पूरा करना है.

NDTV प्रॉफिट के अनुसार, यदि ये लक्ष्य पूरे हो जाता हैं तो वित्तीय वर्ष के दौरान भारत की सोलर मॉड्यूल निर्माण क्षमता में कम से कम 40GW का विस्तार हो सकता है, और आने वाले सालों में घरेलू सोलर सेल क्षमता कम से कम 19GW बढ़ सकती है.

भारतीय सोलर मॉड्यूल इंडस्ट्री

भारत की सोलर मॉड्यूल निर्माण क्षमता वित्तीय वर्ष 2017 में 4.2 GW से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 के अंत तक लगभग 72 GW हो गई है. जबकि सरकार का कहना है कि देश का मॉड्यूल निर्माण अब आत्मनिर्भर है. भारत अभी भी अपर्याप्त घरेलू सोलर सेल उत्पादन क्षमता के कारण सोलर मॉड्यूल इंपोर्ट करता है.

टॉप पांच मैन्युफैक्चरर में वारी एनर्जीज, रिन्यू पावर, टाटा पावर, प्रीमियर एनर्जीज और अदाणी एंटरप्राइजेज की मुंद्रा सोलर शामिल हैं

भारतीय सोलर सेल इंडस्ट्री

सोलर मॉड्यूल के निर्माण के लिए सोलर सेल महत्वपूर्ण हैं, और भारत की वर्तमान क्षमता घरेलू मांग से कम है. इंडस्ट्री के विस्तार के लिए सोलर सेल उत्पादन में वृद्धि आवश्यक है. प्रीमियर एनर्जीज की DRHP रिपोर्ट है कि भारत की सोलर सेल क्षमता वित्त वर्ष 2024 तक 8.1 GW तक पहुंच गई, जो वित्त वर्ष 2017 में 1 GW थी.

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लेखक Mihika Barve