टा-टा...रतन : अब पियानो का अभ्यास, विमान उड़ाने का शौक पूरा करेंगे

21 साल तक टाटा ग्रुप की कमान संभालने के बाद टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा शुक्रवार को अपने पद से रिटायर हो गए। टाटा ग्रुप की कमान अब साइरस मिस्त्री के हाथों में आ गई है।

टाटा समूह को एक पारंपरिक औद्योगिक घराने से 100 अरब डॉलर के आधुनिक वैश्विक उद्योग समूह में तब्दील करने वाले समूह के चेयरमैन रतन टाटा शुक्रवार को रिटायर हो गए। टाटा ग्रुप की कमान अब साइरस मिस्त्री के हाथों में आ गई है। मिस्त्री सुबह टाटा के दफ्तर पहुंचे और ग्रुप की कमान संभाली। मिस्त्री को पिछले साल टाटा का उत्तराधिकारी चुना गया था। इस महीने की शुरुआत में उन्हें औपचारिक तौर पर समूह का चेयरमैन नियुक्त किया गया।

देश के सबसे महान उद्योगपतियों में से एक माने जाने वाले जेआरडी टाटा ने रतन टाटा को 1991 में कंपनी की कमान सौंपी थी और रतन ने अपनी काबलियत के दम पर टाटा ग्रुप को ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंचाया। आज टाटा ग्रुप में 100 से ज्यादा कंपनियां हैं, जो नमक से लेकर सॉफ्टवेयर और स्टील से लेकर कार बनाने में लगी हुई हैं और बिना किसी शक के टाटा ग्रुप के नाम को देश में बेहद प्रतिष्ठित दर्जा हासिल है।

यह रतन टाटा का ही कमाल है कि उन्होंने टाटा ग्रुप को 80 देशों में फैलाकर उसके कारोबार को करीब 5 लाख करोड़ का बना दिया है। गौर करने वाली बात यह है कि जब रतन टाटा ने कंपनी की कमान संभाली थी, तब टाटा ग्रुप का टर्नओवर 10 हजार करोड़ था।

टाटा समूह को एक बहुराष्ट्रीय उद्योग समूह में तब्दील करने की दूरदृष्टि के तहत रतन टाटा के नेतृत्व में समूह ने विदेश में कई कंपनियों के अधिग्रहण किए। इसमें 2000 में ब्रितानवी ब्रांड टेटली का 45 करोड़ डॉलर में अधिग्रहण भी शामिल है।
 रतन टाटा ने वैश्विक अधिग्रहण के मामले में भारतीय उद्योग जगत में नए मानक स्थापित किए। टाटा स्टील ने 2007 में ब्राजील की सीएसएन को शिकस्त देते हुए कोरस का 6.2 अरब पौंड में अधिग्रहण किया।

इस अधिग्रहण के एक साल बाद ही समूह की वाहन कंपनी टाटा मोटर्स ने 2.3 अरब डॉलर में जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण किया। टाटा ने आम लोगों की कार के सपने को साकार करने के लिए लखटकिया कार नैनो पेश की। हालांकि, इस सपने को पूरा करने के लिए कंपनी को पश्चिम बंगाल के सिंगूर में भूमि अधिग्रहण की समस्याओं से दो-चार होना पड़ा। आखिरकार समूह ने परियोजना को सिंगूर से गुजरात के साणंद ले जाने का निर्णय किया।

रतन टाटा के नेतृत्व में समूह ने 90 के दशक में आईटी क्षेत्र में कदम रखा और आज टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी है। टाटा ने समूह के साथ अपने लंबे सफर को सीखने वाला सफर बताया और साथ ही कहा, समय-समय पर हमें निराशाओं का भी सामना करना पड़ा... फिर भी मैंने मूल्यों एवं नैतिक मानकों को बनाए रखने की कोशिश की। उनका कहना है, मैं इस बात को लेकर संतुष्ट हूं कि जो भी मैंने सही समझा, उसे करने का पूरा प्रयास किया।

सेवानिवृत्ति के बाद की योजना के बारे में टाटा ने कहा है कि वह प्रौद्योगिकी पर जो कि उनका जुनून है, समय गुजारेंगे। वह अपने पियानो से धूल साफ कर उसके फिर से बजाने लायक बनाएंगे और विमान उड़ाने का शौक पूरा करेंगे। साथ ही वह परोपकारी गतिविधियों पर ध्यान देंगे।

(इनपुट भाषा से भी)

लेखक NDTV Profit Desk
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