RBI ने रेपो रेट में 25 आधार अंक की कटौती कर 6 फीसदी किया, सस्ते हो सकते हैं लोन

रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2018- 19 की चौथी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति का संशोधित अनुमान घटाकर 2.40 प्रतिशत किया, वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के लिये 2.90 से तीन प्रतिशत और वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी छमाही के लिये 3.50 से 3.80 प्रतिशत किया.

प्रतीकात्मक तस्वीर.

रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति में आई नरमी को देखते हुये बृहस्पतिवार को लगातार दूसरी बार नीतिगत ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है. इससे रेपो दर अब पिछले एक साल के निचले स्तर पर आ गयी है. हालांकि, रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति के रुख को तटस्थ बनाये रखा है. गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति की पिछले दो दिन से चल रही बैठक के बाद बृहस्पतिवार को छह में से चार सदस्यों ने रेपो दर में कटौती का पक्ष लिया. हालांकि, दो सदस्यों ने दर को यथावत रखने का समर्थन किया. मुख्य ब्याज दर 0.25 प्रतिशत घटाने के बाद छह प्रतिशत पर आ गयी है. इससे बैंकों की रिजर्व बैंक से धन लेने की लागत कम होगी और उम्मीद है कि बैंक इस सस्ती लागत का लाभ आगे अपने ग्राहकों तक भी पहुंचायेंगे. इससे बैंकों से मकान, दुकान और वाहन के लिये कर्ज सस्ती दर पर मिल सकता है. 

इससे पहले रिजर्व बैंक ने सात फरवरी 2019 को भी रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर इसे 6.25 प्रतिशत पर ला दिया था. आज हुई दूसरी कटौती के बाद रेपो दर 6 प्रतिशत रह गई. इससे पहले अप्रैल 2018 में भी रेपो दर छह प्रतिशत पर थी. रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के दायरे में बरकरार रखने के मध्यावधि के लक्ष्य को हासिल करने के साथ आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये रेपो दर में कटौती की गयी है.

इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के लिये खुदरा मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान बृहस्पतिवार को घटाकर 2.9- 3 प्रतिशत कर दिया. यह कटौती खाद्य पदार्थों एवं ईंधन के कम दाम तथा मानसून करीब करीब सामान्य रहने के पूर्वानुमान को देखते हुये की गई है. रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पहली द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद कहा कि 2019-20 के दौरान मुद्रास्फीति कई कारकों से प्रभावित होने वाली है. सबसे पहले जनवरी-फरवरी के दौरान नरम खाद्य मुद्रास्फीति का निकट भविष्य के मुद्रास्फीति के परिदृश्य पर असर पड़ेगा. इसके साथ ही फरवरी की नीतिगत बैठक के समय ईंधन समूह में मुद्रास्फीति गिरने के असर को देखा गया है. 

केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘इन कारकों को ध्यान में रखते हुए तथा 2019 में मानसून सामान्य रहने के कारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान घटाकर वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही के लिये 2.40 प्रतिशत, 2019-20 की पहली छमाही के लिये 2.9-3.0 प्रतिशत और 2019-20 की अंतिम छमाही के लिये 3.5-3.8 प्रतिशत कर दिया गया है.' इससे पहले फरवरी की बैठक के बाद रिजर्व बैंक ने 2019-20 की पहली छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 3.2 से 3.4 प्रतिशत के बीच रहने का पूर्वानुमान व्यक्त किया था. रिजर्व बैंक ने कहा कि फरवरी में खाद्य एवं ईंधन को छोड़ उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति उम्मीद से नीचे थी जिसने मुख्य मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान घटाने का रास्ता सुझाया. 

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लेखक NDTV Profit Desk
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