भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि विकसित देशों द्वारा प्रतिस्पर्धा के तौर पर ढीली मौद्रिक नीतियों के अपनाए जाने से वैश्विक बाजार 'ध्वस्त' होने के जोखिम में हैं।
राजन ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र में जो मौजूदा असंतुलन बन रहा है, उससे बाजारों में अचानक गिरावट आ सकती है और दाम नीचे गिर सकते हैं। इससे बाजारों में अचानक भारी उतार-चढ़ाव बन सकता है। उन्होंने कहा, हम एक और भारी गिरावट की तरफ बढ़ रहे हैं और वह भी ऐसे समय, जब दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं ऐसे झटके को सहने की बहुत कम क्षमता रखते हैं।
राजन ने बुधवार को लंदन स्थित 'सेंट्रल बैंकिंग जर्नल' को दिए साक्षात्कार में कहा, दुर्भाग्य से दुनिया के कई समष्टिगत अर्थशास्त्रियों ने बड़े वित्तीय संकट से कोई सीख नहीं ली है। वह अब भी वित्तीय क्षेत्र पर पूरा ध्यान नहीं दे रहे हैं। वित्तीय क्षेत्र के संकट को पहले से पूरी तरह सुनिश्चित नहीं कहा जा सकता। यह जब तक आपको झटका नहीं दे देता है, तब तक बढ़ता रहता है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंकों के पास वित्तीय क्षेत्र में अब ज्यादा विकल्प नहीं रह गए हैं। ऐसी स्थिति बनने जा रही है, जब वित्तीय खेत्र में निरंतरता का भारी अभाव बन जाएगा। उन्होंने कुछ अर्थशास्त्रियों के इस दलील पर असहमति जताई कि कर्ज वृद्धि की वजह से कीमतें नहीं बढ़ रही हैं।
राजन ने कहा कि ऋण वृद्धि की वजह से समस्या बढ़ती नहीं लग रही है, हालांकि कुछ उभरते बाजारों में यह एक मुद्दा है। राजन ने अपनी चेतावनी को दोहराते हुए कहा कि धनी देशों में मौद्रिक नीतियों में अप्रत्याशित समायोजन के चलते पूंजी प्रवाह में भारी तब्दीली हो रही है और उभरते बाजारों की अर्थव्यवस्थाएं इसके लिए ज्यादा संवेदनशील हैं।