साल 2047 में जब देश अपनी आजादी की 100वीं वर्षगांठ मना रहा होगा, रियल एस्टेट मार्केट का साइज कई गुना बढ़ कर 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है.
ये 2047 तक अनुमानित 55 ट्रिलियन डॉलर की इंडियन इकोनॉमी का एक बड़ा हिस्सा होगा. IMF ने 8% की ग्रोथ रेट पर भारत के संबंध में ये अनुमान लगाया है. यानी देश की कुल GDP में रियल एस्टेट सेक्टर की हिस्सेदारी करीब 14-20% तक होने का अनुमान है.
रियल एस्टेट फर्म CREDAI और रियल एस्टेट एडवाइजर कोलियर्स इंडिया ने 'क्रेडाई नैटकॉन' समिट में 'इंडियन रियल एस्टेट: द क्वांटम लीप' नाम से एक ज्वाइंट रिपोर्ट जारी की है.
इकोनॉमिक और इंडस्ट्रियल ग्रोथ के कई सारे फैक्टर्स रियल एस्टेट सेक्टर को आगे बढ़ाने में भूमिका निभाएंगे. इनमें तेजी से होता शहरीकरण, डेमोग्राफिक चेंज, सतत विकास जैसे कारण शामिल हैं. रिपोर्ट के मुताबिक,
2047 तक भारतीय रियल एस्टेट का मार्केट साइज 5-7 ट्रिलियन से 10 ट्रिलियन तक बढ़ सकता है.
परिस्थितयां बहुत सही नहीं भी हुई तो देश का रियल एस्टेट मार्केट 3 से 5 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ सकता है.
वहीं, बढ़ती इकोनॉमिक ग्रोथ और तेजी से होते शहरीकरण के बीच ये 7 से 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है.
हर सेगमेंट में ग्रोथ की उम्मीद
कोलियर्स और CREDAI को रियल एस्टेट सेक्टर के सभी सेगमेंट में ज्यादा इंस्टीट्यूशनलाइजेशन और मार्केट कंसोलिडेशन की उम्मीद है.
रिपोर्ट में कहा गया, 'हम ऑफिस और हाउसिंग जैसे प्रमुख एसेट्स की मैच्योरिटी, डेटा सेंटर और सीनियर सिटीजन के आवास जैसे वैकल्पिक एसेट्स में भी मजबूत ग्रोथ की उम्मीद करते हैं.'
इनके अलावा, रियल एस्टेट ग्रोथ बड़े शहरों की सीमाओं से आगे बढ़कर कई छोटे शहरों तक पहुंचेगी.
तेजी से बढ़ते शहरीकरण, बढ़ती औसत आयु और टेक्नोलॉजी जैसे गतिशील कारकों के परस्पर प्रभाव के साथ, हम एक बड़े बदलाव की कगार पर हैं. हम ग्रोथ और डायवर्सिफिकेशन के एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं.बोमन ईरानी, नेशनल प्रेसिडेंट, CREDAI
ईरानी का अनुमान है कि 2047 तक भारत की 50% आबादी शहरों में रहने लगेगी, जिससे आवासीय, कार्यालय और रिटेल स्पेसेज में अभूतपूर्व मांग पैदा होगी.
बड़ी छलांग के लिए है तैयार
क्रेडाई के चेयरमैन मनोज गौड़ ने कहा कि भारत ने 10 ट्रिलियन डॉलर का रियल एस्टेट बाजार बनने का लक्ष्य रखा है, जो इस सेक्टर के एडॉप्शन और इनोवेशन की क्षमता से प्रेरित है. उन्होंने कहा, रेरा(RERA) और रिट (REIT) रेगुलेशन जैसे इनिशिएटिव्स से पारदर्शिता बढ़ी है, निवेशकों का विश्वास बढ़ा है और पूरे सेक्टर में ऑपरेशन सुव्यवस्थित हुआ है.
चूंकि भारत अधिकतर इकोनॉमिक सेक्टर्स में विस्तार के दौर में प्रवेश कर रहा है, इसलिए रियल एस्टेट एक ‘क्वांटम लीप’ यानी बड़ी छलांग के लिए तैयार है. इसमें ग्रोथ के अनेक अवसर पैदा होंगे.बादल याग्निक, CEO, कोलियर्स इंडिया
रिपोर्ट में कहा गया, रियल एस्टेट में ये लॉन्ग टर्म ग्रोथ 6 प्रमुख फैक्टर्स पर आधारित है, जिनमें तेज शहरीकरण, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, डिजिटलाइजेशन, जनसांख्यिकीय बदलाव (Demographic Change), स्थिरता (Sustainability) और इन्वेस्टमेंट डायवर्सिफिकेशन शामिल हैं.