साइरस मिस्‍त्री ने टाटा बोर्ड को भेजे ईमेल में रतन टाटा पर लगाए कई गंभीर आरोप

टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से अचानक हटाए गए साइरस मिस्त्री ने बोर्ड मेंबर्स को भेजे गए ईमेल में कहा है कि उन्हें जिस तरह से बाहर किया गया, उससे वह 'हैरान' हैं. उन्होंने लिखा है कि 'बोर्ड को इस फैसले से कोई प्रशंसा नहीं मिली है' और उन्हें 'अपने बचाव के लिए मौका' तक नहीं दिया गया.

साइरस मिस्त्री ने बोर्ड को एक ईमेल भेजा है... (फाइल फोटो)

टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से अचानक हटाए गए साइरस मिस्त्री ने बोर्ड मेंबर्स को भेजे गए ईमेल में कहा है कि उन्हें जिस तरह से बाहर किया गया, उससे उन्हें 'झटका लगा'. इस ईमेल में उन्होंने लिखा है कि 'बोर्ड को इस फैसले से कोई प्रशंसा नहीं मिली है' और उन्हें 'अपने बचाव के लिए मौका' तक नहीं दिया गया.

अपने पांच पेज के ईमेल में साइरस मिस्‍त्री ने रतन टाटा पर लगातार 'अनुचित हस्‍तक्षेप' का आरोप लगाया और कहा कि इससे उनकी चेयरमैन के रूप में हैसियत कमजोर हुई. मिस्‍त्री ने 103 अरब डॉलर वाले ग्रुप के बोर्ड को चेतावनी भी दी कि गैरलाभकारी बिजनेसों में निवेश से तकरीबन 18 अरब डॉलर के वैल्‍यू के नुकसान होने की भी आशंका है. गौरतलब है कि टाटा ग्रुप का ऋण भार बढ़कर 30 अरब डॉलर तक पहुंच गया है.  

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रतन टाटा ने मिस्त्री की जगह ली है, यानी वह केवल चार महीनों के लिए ग्रुप के अंतरिम चेयरमैन बनकर लौटे हैं. इस बीच समिति ने नया चैयरमैन का चुनाव करना है और इस समिति में खुद रतन टाटा भी हैं.  इस बात की आशंका जताते हुए कि मिस्त्री बोर्ड के फैसले को अदालत में चुनौती दे सकते हैं, टाटा समूह ने कैविएट फाइल कर दिया है.

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रतन टाटा के लंबे समय से कानूनी सलाहकार हरीश साल्वे ने NDTV से कहा कि दरअसल रतन टाटा और साइरस मिस्‍त्री के मूल्‍यों में स्‍पष्‍ट रूप से अंतर था. भारत की इस बहुआयामी कंपनी के परिवार के संरक्षक रतन टाटा को लगा कि मिस्त्री यूके में टाटा के संपूर्ण स्टील कारोबार को समाप्त करके 'परिवार के रत्नों' में से एक को बेचने जा रहे थे. इस तरह की अधिग्रहीत कई गई परिसंपत्तियों के बेचने का फैसला बोर्ड को नागवार गुजरा. बोर्ड ने इसे कंपनी की अंतरराष्‍ट्रीय साख को धक्‍का लगने के नजरिये से देखा. 

नाम न छापने की शर्त पर सूत्रों ने यह भी बताया कि रतन टाटा को लग रहा था कि साइरस मिस्त्री डोकोमो मामले में रतन टाटा को ज़िम्मेदार ठहराना चाहते थे. दरअसल 2010 में जापानी कंपनी डोकोमो ने टाटा टेलीकॉम कंपनी में हिस्‍सेदारी खरीदी थी लेकिन प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में ग्राहक बेस तेजी से नहीं बढ़ने के कारण 2014 में हटने का फैसला किया.

उसने टाटा से खरीदार ढूढ़ने के लिए कहा लेकिन टाटा के ऐसा करने में नाकाम रहने के बाद इसने ही डोकोमो के शेयर खरीदने का प्रस्‍ताव दिया लेकिन रिजर्व बैंक ने इसके लिए अनुमति नहीं दी. नतीजतन अंतरराष्ट्रीय अदालत ने टाटा को आदेश दिया कि वे डोकोमो को क्षतिपूर्ति के रूप में 1.2 अरब डॉलर का भुगतान करे, क्योंकि टाटा ने 'लक्ष्य पूरे नहीं होने' के आधार पर संयुक्त उपक्रम को खत्म कर दिया था.

उनके समय में कंपनी के घटते राजस्‍व के आरोपों का जवाब देते हुए साइरस मिस्‍त्री ने बोर्ड से कहा, ''उनको घाटे में और भारी-भरकम कर्ज से लदा'' उद्यम मिला था और डोकोमो डील साइन करने के लिए अपने पूर्ववर्ती (रतन टाटा) को जिम्‍मेदार ठहराया. इसके साथ ही कहा, ''मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि मुझे प्रदर्शन नहीं कर पाने के आधार पर हटाया गया है.''   

इसके साथ ही मिस्‍त्री ने यह भी कहा कि चेयरमैन बनने से पहले उनको गारंटी दी गई थी कि वह काम के लिहाज से ''फ्री हैंड'' दिया जाएगा और रतन टाटा की ''भूमिका जरूरत पड़ने पर सलाह'' देने भर की होगी. लेकिन नियुक्ति होने के बाद उनकी शक्तियों में कटौती करने के लिए नियमों में संशोधन किया गया.

टाटा के कथित हस्‍तक्षेप का उदाहरण देते हुए उन्‍होंने कहा कि घाटे में चल रहे टाटा नैनो प्रोजेक्‍ट को ग्रुप ने बंद करने से इनकार कर दिया. इस संबंध में कहा, ''केवल भावुक कारणों ने हमको इस अहम निर्णय को लेने से रोका.''

 

लेखक NDTV Profit Desk
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