FMCG Industry: गांवों ने शहरों को पीछे छोड़ा! मार्च तिमाही में कहां कैसी रही खपत?

फूड कैटगरी में अधिक यूनिट्स बिके हैं, जबकि HPC कैटगरी में ग्रोथ काफी हद तक बड़े आकार वाले पैक की लोकप्रियता की वजह से दर्ज हुई है.

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भारतीय FMCG इंडस्‍ट्री ने जनवरी-मार्च 2024 के बीच राष्ट्रीय स्तर पर खपत के मामले में 6.5% की ग्रोथ दर्ज की है. इसके साथ ही 5 तिमाहियों में पहली बार ग्रामीण खपत ने शहरी डिमांड को पीछे छोड़ दिया है. कंज्‍यूमर्स से जुड़े डेटा एवलेबल कराने वाली फर्म नील्सनआईक्यू (NielsenIQ) ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में ये आंकड़े पेश किए.

शहरी खपत की ग्रोथ दिसंबर तिमाही के 6.9% से धीमी होकर 5.7% रह गई, जबकि ग्रामीण बाजार (Rural Market) में मांग पिछली तिमाही में 5.8% की ग्रोथ के मुकाबले 7.6% रही. मार्केट रिसर्च फर्म ने कहा कि कुल मिलाकर, पैकेज्ड आइटम सेक्‍टर में वॉल्‍यूम के आधार पर 6.6% की ग्रोथ हुई, जबकि प्राइस ग्रोथ 0.1% पर स्थिर रही.

नॉन-फूड कैटगरी में ज्‍यादा ग्रोथ

नीलसनआईक्यू में कस्‍टमर सक्‍सेस-इंडिया हेड रूजवेल्ट डिसूजा ने कहा, 'खास तौर से, होम और पर्सनल केयर (HPC) कैटगरी ने फूड कैटगरीज से बेहतर प्रदर्शन किया है. खपत बढ़ाने में खाद्य और गैर-खाद्य (Food & Non-Food) दोनों का योगदान रहा. हालांकि फूड की तुलना में नॉन-फूड कैटगरी में ग्रोथ (11%) करीब दोगुनी रही.

उन्‍होंने कहा, 'फूड कैटगरी में ज्‍यादा यूनिट्स की खरीदारी दर्ज की गई, जबकि नॉन-फूड कैटगरीज के लिए बड़े पैक को प्राथमिकता दी गई. रिपोर्ट के मुताबिक, फूड कैटगरी में अधिक यूनिट्स बिके हैं, जबकि HPC कैटगरी में ग्रोथ काफी हद तक बड़े आकार वाले पैक की लोकप्रियता की वजह से दर्ज हुई है.

गांवों में बढ़ी डिमांड, शहरों में घटी

मार्च तिमाही में घरेलू FMCG इंडस्‍ट्री का मूल्य 6.6% बढ़ा है, जो ऑल इंडिया लेवल पर खपत में 6.5% ग्रोथ के चलते है. एक साल पहले की समान तिमाही में क्‍वांटिटेटिव ग्रोथ 3.1% रही थी.

NiQ ने कहा कि शहरी और मॉडर्न बिजनेस में खपत मंद पड़ी है जबकि ग्रामीण और ट्रेडिशनल बिजनेस में तेजी बनी हुई है. रूरल डिमांड ग्रोथ ने धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ी है और शहरी क्षेत्र को पीछे छोड़ दिया है. वहीं शहरी उपभोक्ता मांग में क्रमिक रूप से गिरावट देखी जा रही है.

बड़े खिलाड़ी बनाम छोटे खिलाड़ी

FMCG इंडस्‍ट्री में छोटी कंपनियों की तुलना में बड़ी कंपनियों का प्रदर्शन बेहतर है. हालांकि, बीती 2 तिमाहियों में बड़ी कंपनियों की तुलना में छोटी कंपनियों ने नॉन-फूड कैटगरी में हाइयर वॉल्‍यूम ग्रोथ देखी है.

नीलसन आईक्यू के अनुसार, FMCG इंडस्‍ट्री के बड़े खिलाड़ी अपने छोटे साथियों यानी छोटे कंपनियों की कीमत पर फायदे में रहे हैं, जो कमोडिटी कॉस्‍ट में उतार-चढ़ाव के चलते स्थिर कीमतें बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, ब्रिटानिया ने कहा कि उसने कीमतों में कटौती और बेहतर डिस्‍ट्रीब्‍यूशन की मदद से अपनी खोया हुआ मार्केट शेयर वापस पा लिया है.

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