सरकार ने माना, ग्रीस संकट का रुपये पर पड़ सकता है नकारात्मक असर

ग्रीस में रविवार को हुए जनमत संग्रह के बाद भारत सरकार ने सोमवार को कहा कि वह ग्रीस के घटनाक्रम और बाजार में यूरोजोन के बाजार की स्थिति पर बराबर नजर रखे हुए है।

ग्रीस में रविवार को हुए जनमत संग्रह के बाद भारत सरकार ने सोमवार को कहा कि वह ग्रीस के घटनाक्रम और बाजार में यूरोजोन के बाजार की स्थिति पर बराबर नजर रखे हुए है। ग्रीस के लोगों ने मतदान के द्वारा कर्जदाताओं के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है, जिससे ग्रीस के यूरोजोन से बाहर निकलने की संभावना पैदा हो गई है।

इसके साथ ही भारत से पूंजी के बाहर निकलने से रुपये पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, 'ऐसी स्थिति में आम तौर पर डॉलर देश से बाहर सुरक्षित पनाहगाह में जाने लगता है। इससे रुपये पर भी असर पड़ सकता है। लेकिन अब तक कुछ भी अप्रत्याशित नहीं हुआ है।'

उन्होंने कहा, 'यह एक नाटक है जो कुछ समय से चल रहा है। हम कम से कम तीन तरीके से सुरक्षित हैं। हमारी आर्थिक स्थिति काफी सुरक्षित है। हमारे पास प्रचूर भंडार है। हम अब भी निवेश का एक आकर्षक गंतव्य हैं। इसलिए हम इसके प्रभाव से कमोबेश बचे हुए रहेंगे।' उन्होंने कहा, 'जहां तक खुद संकट का सवाल है, तो यह अभी काफी समय तक बना रहेगा।'

वित्त सचिव राजीव महर्षि ने कहा, 'आगे हमें यह देखना है कि यूरो की दिशा क्या होती है। हम ग्रीस की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। फेडरल रिजर्व की दर वृद्धि की योजना पर कुछ प्रभाव पड़ सकता है।'

ग्रीस के करीब 61 फीसदी नागरिकों ने रविवार को मतदान में कर्जदाताओं के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। कर्जदाताओं ने ग्रीस को और कर्ज देने के लिए ग्रीस सरकार से मितव्ययिता अपनाने का प्रस्ताव रखा था।

महर्षि ने गत सप्ताह ग्रीस संकट के भावी असर के बारे में कहा था कि इससे पूंजी देश से निकल सकती है और स्थिति से निपटने के लिए सरकार भारतीय रिजर्व बैंक के संपर्क में है। उद्योग जगत का मानना है कि यदि यूरोप का संकट बढ़ेगा, तो उससे भारत भी प्रभावित होगा।

एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने यहां एक बयान में कहा, 'चिंता की बात यह है कि इस साल भारत के निर्यात की स्थिति बेहतर नहीं है और यूरोप में संकट बढ़ने से निर्यात और घट सकता है।'

देश का निर्यात लगातार घटते हुए मई में 20 फीसदी गिरावट के साथ 22.35 अरब डॉलर का रहा, जो एक साल पहले समान अवधि में 27.99 अरब डॉलर था।

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (एफआईईओ) ने चेतावनी दी है कि निर्यात में लगातार गिरावट से कंपनियों में छंटनी की समस्या पैदा हो सकती है और देश के चालू खाता घाटा पर दबाव बढ़ सकता है।

लेखक IANS
जरूर पढ़ें
1 दूसरे हाफ में बाजार में रही हल्की तेजी, निफ्टी 22,500 के करीब बंद
2 Market Closing: स्पेशल ट्रेडिंग सेशन में बाजार में सीमित दायरे में रहा कारोबार, निफ्टी 22,500 के करीब बंद
3 आज NSE-BSE में DR साइट पर स्पेशल ट्रेडिंग, जानें पूरा शेड्यूल
4 FIIs ने की 1,617 करोड़ रुपये की खरीदारी, देश का फॉरेक्स रिजर्व बढ़कर $644.15 बिलियन