सेंसेक्स पहुंचा 19 महीने के शिखर पर

देश के शेयर बाजारों में गत सप्ताह जबर्दस्त उछाल दर्ज किया गया। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 4.5 फीसदी उछलकर 19 महीने के ऊपरी शिखर पर पहुंच गया। अप्रैल 2011 के बाद सेंसेक्स का यह ऊपरी स्तर है।

देश के शेयर बाजारों में गत सप्ताह जबर्दस्त उछाल दर्ज किया गया। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 4.5 फीसदी उछलकर 19 महीने के ऊपरी शिखर पर पहुंच गया। अप्रैल 2011 के बाद सेंसेक्स का यह ऊपरी स्तर है।

सेंसेक्स गत सप्ताह 4.50 फीसदी या 833.33 अंकों की तेजी के साथ 19,339.90 पर शुक्रवार को बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी भी इसी अवधि में 4.5 फीसदी या 253.25 अंकों की तेजी के साथ 5,879.85 पर शुक्रवार को बंद हुआ।

बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी गत सप्ताह क्रमश: 4.5 फीसदी और 3.00 फीसदी से अधिक तेजी रही। मिडकैप 4.62 फीसदी या 304.57 अंकों की तेजी के साथ 6,901.99 पर और स्मॉलकैप 3.10 फीसदी या 218.54 अंकों की तेजी के साथ 7,275.65 पर बंद हुआ।

सेंसेक्स में गत सप्ताह तेजी में रहने वाले शेयरों में प्रमुख रहे स्टरलाइट इंडस्ट्री (9.14 फीसदी), भारती एयरटेल (8.10 फीसदी), बजाज ऑटो (7.48 फीसदी), टाटा मोटर्स (6.73 फीसदी) और  सिप्ला (6.21 फीसदी)। गत सप्ताह सेंसेक्स में गिरावट वाले चार शेयरों में रहे महिंद्रा एंड महिंद्रा (2.19 फीसदी), भेल (1.00 फीसदी), मारुति सुजुकी (0.45 फीसदी) और हीरो मोटोकॉर्प (0.09 फीसदी)।

गत सप्ताह सेंसेक्स के सभी 13 सेक्टरों में तेजी रही। उपभोक्ता टिकाऊ वस्तु (7.41 फीसदी), रियल्टी (6.92 फीसदी), बैंकिंग (5.87 फीसदी), धातु (5.65 फीसदी) और पूंजीगत वस्तु (4.23 फीसदी) में सर्वाधिक तेजी रही।

शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा कारोबारी साल की दूसरी तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर 5.3 फीसदी रही। आंकड़े कारोबारी सत्र बंद होने से पहले आए लेकिन इसका निराशाजनक आंकड़ों का भी बाजार पर प्रतिकूल असर नहीं हुआ।

गुरुवार को बहु ब्रांड खुदरा कारोबार में 51 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को अनुमति देने के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध समाप्त हो गया। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने इस मुद्दे पर लोकसभा में नियम 184 के तहत चर्चा कराने की अनुमति दे दी, जिसके तहत मतदान किए जाने का भी प्रावधान है। लेकिन यह सरकार पर बाध्यकारी नहीं होगा और मतदान में हारने के बाद भी सरकार खतरे में नहीं होगी। यानी खुदरा क्षेत्र में एफडीआई का रास्ता लगभग साफ हो चुका है और बाजार ने खुले दिल से इस सकारात्मक स्थिति को गले लगाया है। लोकसभा में चार और पांच दिसम्बर को बहस होगी। उसके बाद राज्य सभा में छह और सात दिसम्बर को बहस होगी।

लेखक NDTV Profit Desk
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