मुद्रास्फीति पांच वर्ष के न्यूनतम स्तर 2.38 प्रतिशत पर

सब्जी समेत खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट रहने के बीच सितंबर माह में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पांच साल के न्यूनतम स्तर 2.38 पर आ गई।

सब्जी समेत खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट रहने के बीच सितंबर माह में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पांच साल के न्यूनतम स्तर 2.38 पर आ गई।

थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में 3.74 प्रतिशत रही जबकि एक साल पहले सितंबर 2013 में 7.05 प्रतिशत पर रही थी।

सरकार द्वारा आज जारी आंकड़ों के मुताबिक, खाद्य मुद्रास्फीति करीब ढाई साल के न्यूनतम स्तर 3.52 प्रतिशत पर पहुंच गई। खाद्य मुद्रास्फीति में मई से गिरावट आ रही है।

थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में भारी गिरावट मुख्य तौर पर खुदरा मुद्रास्फीति के सितंबर माह में 6.46 प्रतिशत के रिकार्ड निम्न स्तर पर आ जाने के कारण आई है।

प्याज के थोक मूल्य में सितंबर के दौरान 58.12 प्रतिशत गिरावट रही, जबकि इससे पिछले महीने 44.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई थी।

सब्जियों के मामले में मुद्रास्फीति सितंबर माह में 14.98 प्रतिशत घट गई जबकि आलू के दाम में वृद्धि 90.23 प्रतिशत रही, जिसमें पिछले महीने 61.61 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी।

आंकड़ों से स्पष्ट है कि दूध, अंडा, मांस और मछली की कीमतों में सितंबर में भी गिरावट जारी रही। हालांकि, इस अवधि में फल की कीमत में हल्की-सी बढ़ोतरी हुई।

चीनी, खाद्य तेल, पेय पदार्थों और सीमेंट जैसे विनिर्मित उत्पादों में मुद्रास्फीति सितंबर में घटकर 2.84 प्रतिशत रही, जो पिछले महीने 3.45 प्रतिशत रही थी।

सरकार द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक, थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में लगातार चौथे महीने गिरावट आई है।

ईंधन और बिजली खंड जिसमें एलपीजी, पेट्रोल और डीजल शामिल हैं, में मुद्रास्फीति घटकर 1.33 प्रतिशत रह गई, जो अगस्त में 4.54 प्रतिशत थी।

इस बीच जुलाई की थोकमूल्य आधारित मुद्रास्फीति का आंकड़ा संशोधित होकर 5.41 प्रतिशत पर पहुंच गया जबकि अस्थाई आकलन में यह 5.19 प्रतिशत पर थी। सरकारी वक्तव्य के अनुसार सितंबर का थोकमूल्य सूचकांक आधारित आंकडा भी अस्थाई है।

इसमें यह भी कहा गया कि चालू वित्त वर्ष के सितंबर माह तक औसत मुद्रास्फीति की दर 2.61 प्रतिशत रही जो 2013-14 की इसी अवधि में 6.23 प्रतिशत थी।

रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीतिक दबावों के मद्देनजर जनवरी से मुख्य दरों को अपरिवर्तित रखा है। मौद्रिक नीति की अगली समीक्षा 2 दिसंबर को होनी है। केंद्रीय बैंक मौद्रिक समीक्षा करते हुये प्राथमिक तौर पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को ध्यान में रखता है।

लेखक NDTV Profit Desk
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