शेयर बाजार : मौद्रिक नीति से तय होगी दिशा

शेयर बाजार में अगले सप्ताह कंपनी की ओर से घोषित किए जाने वाले तिमाही परिणामों, भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति समीक्षा, विदेशी संस्थागत निवेशकों की चाल और डॉलर के मुकाबले रुपये में होने वाले उतार-चढ़ाव का प्रभाव रहेगा।

शेयर बाजार में अगले सप्ताह कंपनी की ओर से घोषित किए जाने वाले तिमाही परिणामों, भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति समीक्षा, विदेशी संस्थागत निवेशकों की चाल और डॉलर के मुकाबले रुपये में होने वाले उतार-चढ़ाव का प्रभाव रहेगा।

वायदा और विकल्प (एफएंडओ) खंड में कारोबारी अपना पैंतरा जनवरी शृंखला को छोड़कर फरवरी शृंखला के लिए तय करेंगे। जनवरी के लिए एफएंडओ सौदे गुरुवार 30 जनवरी को परिपक्व होंगे।

रिजर्व बैंक 28 जनवरी को वित्तवर्ष 2013-14 के लिए मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही की समीक्षा करेगा। बैंक ने दिसंबर की समीक्षा में रेपो और रिवर्स रेपो दर में बदलाव नहीं किया और कहा कि आने वाले महीनों में महंगाई में कमी आने की उम्मीद करता है।

भारतीय रिजर्व बैंक की एक समिति ने सलाह दी है कि मौद्रिक नीति तय करने के मामले में बैंक को उपभोक्ता महंगाई दर के लक्ष्य का उपयोग करना चाहिए। रघुराम राजन के रिजर्व बैंक गवर्नर बनाए जाने के तुरंत बाद गठित समिति को ऐसे तरीके सुझाने थे, जिससे कि मौद्रिक नीति निर्माण प्रक्रिया पारदर्शी और अनुमान लगाने योग्य हो सके।

मंगलवार 21 जनवरी को जारी रिपोर्ट में समिति ने दो फीसदी ऊपरी या नीचे की गुंजाइश के साथ चार फीसदी उपभोक्ता महंगाई दर को लक्ष्य बनाने का सुझाव दिया। समिति ने सुझाव दिया कि मौद्रिक नीति का लक्ष्य उपभोक्ता महंगाई दर को घटाकर लक्षित दायरे तक लाना होना चाहिए।

उपभोक्ता महंगाई दर अभी 10 फीसदी है। अगले 12 महीने में इसे घटाकर आठ फीसदी और उसके अगले 12 महीने में इसे और घटाकर छह फीसदी तक लाना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि भारत से अलग अधिकांश देशों में थोक महंगाई दर की जगह उपभोक्ता महंगाई दर को अधिक तरजीह दी जाती है।

रिजर्व बैंक अब तक मौद्रिक नीति तय करते वक्त महंगाई, विकास और मौद्रिक स्थिरता जैसे पहलुओं पर ध्यान देता रहा है। इसके पास महंगाई दर का अब तक कोई लक्ष्य नहीं था। समिति ने यह भी सुझाव दिया कि ब्रिटेन और अमेरिका जैसे कई विकसित देशों की तरह भारत में भी मौद्रिक नीति गवर्नर की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा प्रत्येक सदस्यों के मतों के रुझान के आधार पर तय की जानी चाहिए।

अब तक की परंपरा के मुताबिक, गवर्नर मौद्रिक नीति तय करते थे, जिसमें उन्हें संबंधित अधिकारियों से राय मिलती है।

अगले सप्ताह सोमवार को अदानी पावर, इलाहाबाद बैंक, एस्कोर्ट्स, हिंदुस्तान यूनिलीवर और जस्ट डायल, मंगलवार को जिंदल स्टील एंड पावर, मारुति सुजुकी और एसएसएलटी, बुधवार को गेल, आईसीआईसीआई बैंक, इंडिया इंफोलाइन, जागरण प्रकाशन और टाटा ग्लोबल बेवरेजेज, गुरुवार को बैंक ऑफ इंडिया, हीरो मोटोकॉर्प, मुथूट फायनेंस और वोल्टास और शुक्रवार को आईडीएफसी, मारिको, एनएचपीसी और सिंडिकेट बैंक अपनी तिमाही परिणाम जारी करेगी।

अमेरिका के फेडरल रिजर्व की नीति निर्मात्री समिति फेडरल ओपेन मार्केट कमिटी (एफओएमसी) 28 और 29 जनवरी को दो दिवसीय नीति बैठक करेगी। 18 दिसंबर को हुई बैठक में मासिक बांड खरीदारी कार्यक्रम को 10 अरब डॉलर घटाकर जनवरी से 75 अरब डॉलर करने का फैसला किया गया था।

लेखक NDTV Profit Desk
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