मोबाइल-इंटरनेट से लेकर OTT तक, टेलीकॉम कंपनियों को 3 महीने के अंदर लौटाने होंगे ओ‍वरचार्जिंग के पैसे; वरना भरना होगा जुर्माना

टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स को नियुक्‍त ऑडिटर से ऑडिट करवाना जरूरी होगा. रिपोर्ट में देरी पर भी जुर्माना लगेगा.

Source: TRAI/Pexel

'टेलीकॉम कंपनी ने तो इस बार बहुत ज्‍यादा बिल भेज दिया है. बिल पढ़कर भी समझ ही नहीं आ रहा कि किस बात के इतने पैसे चार्ज किए गए हैं. टैरिफ के हिसाब से इतना ज्‍यादा चार्ज तो नहीं बनता!'

मोबाइल से लेकर वाई-फाई तक और OTT से लेकर केबल सर्विस तक, टेलीकॉम कंज्‍यूमर्स की ऐसी शिकायतें अक्‍सर सामने आती हैं. बिल को रिपोर्ट कीजिए, कंपनी से शिकायत कीजिए तो भी इसका समाधान नहीं हो पाता. अब ऐसा नहीं होगा.

टेलीकॉम रेगुलेटर TRAI ने सर्विस क्वालिटी पर नए रेगुलेशंस जारी किए हैं, जिसमें कंज्‍यूमर्स से ओवरचार्ज्ड की गई राशि लौटाने का आदेश दिया है. इसके लिए पूरा एक सिस्‍टम तैयार किया गया है, जिसके तहत ऑडिटर्स ऐसे मामलों की समीक्षा करेंगे. अगर वे पाएंगे कि कंज्‍यूमर से ज्‍यादा राशि वसूल की गई है तो सर्विस प्रोवाइडर को कंज्‍यूमर्स से ओवरचार्ज्‍ड की गई राशि लौटानी होगी.

3 महीने के अंदर लौटानी होगी ओवरचार्ज की रकम

टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स को नियुक्‍त ऑडिटर से ऑडिट करवाना जरूरी होगा. यदि ऑडिटिंग के दौरान ऑडिटर, ओवरचार्जिंग का मामला देखते हैं तो इसे एक हफ्ते के भीतर कंपनी के संज्ञान में लाएंगे.

इसके बाद सर्विस प्रोवाइडर देखेगा कि क्‍या सच में कंज्‍यूमर से ओ‍वरचार्ज्‍ड अमाउंट वसूला गया है. अगर इसे सही पाता है तो बिलिंग सिस्‍टम की गलतियां सुधारेगा और तीन महीने के अंदर उसे कंज्‍यूमर को ओवरचार्ज्‍ड अमाउंट लौटाना होगा.

TRAI ने ऑडिट के दौरान इसका पता चलने पर उपभोक्ताओं से ओवरचार्ज्ड की गई कुल राशि के प्रतिशत के रूप में फाइनेंशियल डिसइं‍सेंटिव (Financial Disincentive) लागू करने का भी आदेश दिया गया है.

कैसे होगी ऑडिटर की नियुक्ति?

  • नए नियमों के अनुसार, ऑडिटिंग के लिए TRAI समय-समय पर ऑडिटर्स पैनल तैयार कर सकता है.

  • सर्विस प्रोवाइडर्स, ऑडिट के लिए हर साल 31 मार्च तक इस पैनल में से किसी ऑडिटर को नियुक्‍त करेगा.

  • ये नियुक्ति किसी भी हाल में लगातार दो वर्ष से अधिक समय तक के लिए नहीं होगी.

  • ये भी जरूरी शर्त है कि ऑडिटर का पिछले एक साल में सर्विस प्रोवाइडर से किसी भी तरह का व्‍यापारिक संबंध न रहा हो.

  • ऐसा इ‍सलिए ताकि ऑडिट, मीटरिंग और बिलिंग सिस्‍टम में पूरी तरह पारदर्शिता रहे.

रिपोर्ट में देरी पर लगेगी पेनल्‍टी

ऑडिटर से ऑडिटिंग कराने के बाद सर्विस प्रोवाइडर कंपनी को TRAI के पास 3 महीने के भीतर ऑडिट रिपोर्ट जमा करानी होगी. ऑडिट रिपोर्ट सब्मिट करने की तारीख से 2 महीने के भीतर बिलिंग सिस्‍टम को लेकर की गई कार्रवाइयों के बारे में भी बताना होगा. इस रिपोर्ट में देरी करने पर पेनल्‍टी देनी होगी, जो कि TRAI को जाएगा.

यदि टेलीकॉम कंपनी TRAI के निर्देशों की अवहेलना करती है और रिपोर्ट में देरी जारी रखती है तो अधिकतम 50 लाख रुपये प्रति रिपोर्ट तक जुर्माना लगाया जा सकता है.

पुराना रेगुलेशन निरस्‍त, नया जारी, जनवरी से लागू

TRAI ने सेवा की गुणवत्ता विनियम (Code of Practice for Metering and Billing Accuracy), 2023 जारी किया है. TRAI का नया रेगुलेशन, 2013 में जारी किए गए अमेंडमेंट्स को निरस्त करते हैं, जिसे तब सेवा की गुणवत्ता (मीटरिंग और बिलिंग एक्‍यूरेसी प्रैक्टिस कोड) विनियमन, 2006 के रूप में जाना जाता था और इसके अमेंडमेंट 25 मार्च 2013 को जारी किए गए थे. नया रेगुलेशन जनवरी 2024 से लागू होगा.

यहां पढ़ें नया रेगुलेशन

टेलीकॉम रेगुलेटर ने कहा, उसने ये सुनिश्चित किया है कि सर्विस प्रोवाइडर अपनी मीटरिंग और बिलिंग सिस्टम में निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखें.

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