सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज में फंसी राशि का आंकड़ा सात लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच जाने से चिंतित वित्त मंत्रालय ने इस समस्या से निपटने के लिये बैंकों को त्वरित एवं कड़ी कारवाई करने को कहा है. एक बैंकर ने यह जानकारी दी है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की दो दिवसीय मंथन बैठक में यह मुद्दा उभरकर सामने आया है. बैठक के दौरान वित्त मंत्रालय ने बैंकों की बढ़ती गैर-निष्पादित राशि (एनपीए) को लेकर चिंता जताई और इस समस्या से प्राथमिकता के साथ निपटे जाने पर जोर दिया.
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सार्वजनिक क्षेत्र के एक वरिष्ठ बैंकर ने कहा बैठक के दौरान इस मुद्दे पर भी गौर किया गया कि कर्ज में फंसी संपत्तियों से बेहतर ढंग से वसूली के लिए उनकी प्रभावी निगरानी की जानी चाहिए. दो दिवसीय इस बैठक में इस बारे में भी चर्चा की गई कि एनपीए की समाधान प्रक्रिया से किस प्रकार बेहतर मूल्य हासिल किया जा सकता है. बैंकों को यह भी सलाह दी गई है कि वह उन मामलों का निपटान कर लें जहां यह हो सकता है ताकि एनपीए का बोझ कम किया जा सके. बैंकों को अपनी वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाने के लिये कुछ अलग तरीके भी अपनाने चाहिए इस बात पर भी गौर किया गया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए मार्च 2015 को 2.78 लाख करोड़ रुपये पर था वह जून 2017 को बढ़कर 7.33 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया.
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एनपीए के कारण बैंकों को नुकसान के रूप में पूंजी प्रावधान भी ज्यादा करना पड़ा. वर्ष 2014-15 से लेकर 2017-18 की पहली तिमाही तक इस मद में 3.79 लाख करोड़ रुपए के प्रावधान किए गए जबकि इससे पहले दस साल के दौरान 1.96 लाख करोड़ रुपए का ही प्रावधान किया गया था.
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