अप्रैल में थोक मुद्रास्फीति घटकर 4.89 प्रतिशत, नवंबर 2009 के बाद सबसे कम

यह नवंबर 2009 के बाद थोक मूल्य पर आधारित मुद्रास्फीति का न्यूनतम स्तर है। इसमें गिरावट से ब्याज दर में कमी की मांग कर रहे उद्योग व्यापार जगत की बात को बल मिलने की उम्मीद है।

फल, सब्जी और अन्य खाद्य वस्तुओं की थोक कीमतों में गिरावट के चलते मुख्य मुद्रास्फीति इस वर्ष अप्रैल में घट कर 4.89 प्रतिशत पर आ गई। यह नवंबर 2009 के बाद थोक मूल्य पर आधारित मुद्रास्फीति का न्यूनतम स्तर है। इसमें गिरावट से ब्याज दर में कमी की मांग कर रहे उद्योग व्यापार जगत की बात को बल मिलने की उम्मीद है।

थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति इस वर्ष मार्च में 5.96 प्रतिशत और अप्रैल 2012 में 7.50 प्रतिशत रही थी। इससे पहले नवंबर 2009 में मुद्रास्फीति 4.78 प्रतिशत रही थी। उसके बाद पहली बार यह उससे नीचे आई है।

भारतीय रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति के जोखिम को देखते हुए नीतिगत ब्याज दर में बड़ी कटौती से बचता रहा है जबकि उद्योग जगत को शिकायत है कि कारोबार में नरमी को देखते हुए कर्ज सस्ता किए जाने की जरूरत है।

औद्योगिक नरमी के चलते 2012-13 में औद्योगिक वृद्धि दर घट कर एक प्रतिशत रह गई। मार्च माह में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 2.5 प्रतिशत रही लेकिन तमाम उद्योग नरमी के दलदल में फंसे हुए हैं।

सरकार द्वारा मंगलवार को जारी महंगाई के आंकड़ों के अनुसार इस बार अप्रैल में विनिर्मित वस्तुओं के वर्ग की मुद्रास्फीति घट कर 3.41 प्रतिशत पर आ गई जो मार्च में 4.07 प्रतिशत पर थी।

थोक मूल्य सूचकांक में 14.34 प्रतिशत भागीदारी रखने वाली खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति घटकर 6.08 प्रतिशत रह गई। मार्च में इस समूह की मुद्रास्फीति 8.73 प्रतिशत पर थी।

मुद्रास्फीति में गिरावट लाने में सब्जियों के दाम घटने का सबसे अहम योगदान रहा। अप्रैल में सब्जियों की मुद्रास्फीति शून्य से 9.05 प्रतिशत नीचे रही जबकि मार्च में यह शून्य से 0.95 प्रतिशत नीचे थी।

इसी प्रकार फलों की समूह मुद्रास्फीति भी अप्रैल में घटकर 0.71 प्रतिशत रह गई जबकि मार्च में यह 4.71 प्रतिशत की ऊंचाई पर थी। हालांकि, प्याज के दाम अप्रैल में एक साल पहले इसी माह की तुलना में 91.69 प्रतिशत ऊंचे रहे। मार्च में यह 94.85 प्रतिशत ऊंचे थे।

फरवरी मुद्रास्फीति के आंकड़े भी इसके साथ ही नए सिरे से तय किए गए। फरवरी में मुद्रास्फीति पहले जहां 6.84 प्रतिशत रही थी संशोधित आंकड़ों में यह 7.28 प्रतिशत पर पहुंच गई।

उधर, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 9.39 प्रतिशत रह गई। कई महीनों बाद मुद्रास्फीति दहाई अंक से घटकर अप्रैल में इकाई अंक में पहुंची जिससे मुद्रास्फीति में गिरावट का संकेत मिलता है।

आर्थिक मामले विभाग में सचिव अरविंद मायाराम ने मुद्रास्फीति आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा ‘‘हमें प्रसन्नता है कि मुद्रास्फीति के आंकड़े नीचे आ रहे हैं।’’

अप्रैल में सालाना आधार पर गेहूं की मूल्य वृद्धि घटकर 13.89 प्रतिशत रह गई, आलू के दाम 2.42 प्रतिशत नीचे आ गए। मार्च में इसमें 20.06 प्रतिशत की वृद्धि रही। चावल और दालों में मुद्रास्फीति की दर कुछ नीचे आकर क्रमश 17.09 और 15.63 प्रतिशत रह गई। दलहन की मूल्यवृद्धि मामूली घटकर 10.28 प्रतिशत रह गई।

लेखक NDTV Profit Desk
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