खाने की चीजों में माइक्रोप्लास्टिक संक्रमण से बढ़ी चिंता; FSSAI ने प्रदूषण स्तर को जांचने के लिए नया प्रोजेक्ट लॉन्च किया

FSSAI ने ये भी बताया कि FAO ने अपनी हालिया रिपोर्ट में चीनी और नमक जैसी आम खाने की चीजों में माइक्रोप्लाटिक्स की उपस्थिति की संभावना जताई थी.

Source: NDTV

फूड रेगुलेटर FSSAI ने खाद्य वस्तुओं में माइक्रोप्लास्टिक संक्रमण को जांचने और जांच के नए तरीके खोजने के लिए एक नया प्रोजेक्ट लॉन्च किया है.

FSSAI (Food Safety and Standards Authority of India) खाने की चीजों में माइक्रोप्लास्टिक संक्रमण की बढ़ती चिंताओं की चुनौती से निपटने के लिए एक इनोवेटिव प्रोजेक्ट लेकर आई है. संस्था ने माना है कि माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण एक उभरता खतरा है, जिस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है.

ऑफिशियल स्टेटमेंट के मुताबिक, 'इस प्रोजेक्ट का नाम 'माइक्रो एंड नैनो प्लास्टिक्स एज इमर्जिंग फूड कंटैमिनेंट्स: एस्टेब्लिशिंग वैलिडेटेड मेथोडोलॉजीज एंड अंडरस्टैंडिंग द प्रिवलेंस इन डिफरेंट फूड मैट्रिक्स है.'

प्रोजेक्ट का उद्देश्य तमाम फूड प्रोडक्ट्स में माइक्रो और नैनो प्लास्टिक्स की खोज और भारत में उनके एक्सपोजर के स्तर का पता लगाना है.

FSSAI के मुताबिक प्रोजेक्ट का प्राथमिक उद्देश्य 'माइक्रो/नैनो एनालिसिस के लिए स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल डेवलप करना, इंट्रा और इंटर लैबोरेटरीज कंपेरिजन और कंज्यूमर्स में माइक्रोप्लास्टिक एक्सपोजर लेवल से जुड़ा क्रिटिकल डेटा इकट्ठा करना है.'

ये प्रोजेक्ट भारत के लीडिंग रिसर्च इंस्टीट्यूशंस, जैसे CSIR-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टोक्सिकोलॉजी रिसर्च (लखनऊ), ICAR-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज टेक्नोलॉजी (कोच्चि) और BITS पिलानी जैसे संस्थान इससे जुड़े हैं.

FSSAI ने ये भी बताया कि FAO (Food And Agriculture Organization) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में चीनी और नमक जैसी आम खाने की चीजों में माइक्रोप्लाटिक्स की उपस्थिति की संभावना जताई थी.

इस प्रोजेक्ट से पता लगने वाली चीजों से ना केवल रेगुलेटरी एक्शन उठाने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे माइक्रोप्लास्टिक संक्रमण पर ग्लोबल अंडरस्टैंडिंग भी बेहतर होगी.

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