एयर पॉल्‍यूशन से बढ़ता है डायबिटीज का खतरा! दिल्‍ली-मुंबई वाले संभल जाएं; पढ़ें ये रिसर्च स्‍टडी

ये रिसर्च स्‍टडी दिल्ली और दक्षिण चेन्नई में 12,000 लोगों पर की गई है.

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दिल्ली-NCR, मुंबई और चेन्नई जैसे शहरों में इन दिनों वायु प्रदूषण (Air Pollution) चरम पर है. लोगों का सांस लेना दूभर हो रहा है. इस बीच एक सावधान करने वाली रिसर्च स्‍टडी सामने आई है, जिसमें एयर पॉल्‍यूशन और डायबिटीज के बीच गहरा संबंध बताया गया है.

BMJ ओपन डायबिटीज रिसर्च एंड केयर जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च स्‍टडी में ये दावा किया गया है कि प्रदूषित हवा से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि प्रदूषित हवा में सांस लेने से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है.

ये रिसर्च स्‍टडी दिल्ली और दक्षिण चेन्नई में 12,000 लोगों पर की गई है, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं. ये स्टडी उस लंबे शोध का हिस्सा है, जो देश में गंभीर बीमारियों को लेकर की गई है. इसकी शुरुआत 2010 में हुई थी.

PTI की रिपोर्ट के अनुसार, दावा किया गया है कि ये अपने तरह की पहली स्‍टडी है. हालांकि इससे पहले भी और डायबिटीज के बीच गहरा संबंध स्‍थापित करने वाली स्‍टडीज सामने आ चुकी हैं.

'लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ' में पिछले साल जून में प्रकाशित एक स्‍टडी में अमेरिकी शोधकर्ता बता चुके हैं कि प्रदूषण का स्तर PM 2.5 या उससे ज्यादा है, तो उससे डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है.

रिसर्च स्‍टडी में क्‍या कहा गया है?

BMJ की स्टडी के मुताबिक, प्रदूषण के चलते हवा में PM 2.5 पार्टिकल्स बढ़ जाते हैं. सांस लेने के दौरान शरीर के भीतर जाने पर ब्‍लड शुगर लेवल हाई हो जाता है और इसके चलते लोगों में लंबे समय के लिए टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है.

PM 2.5 पार्टिकल्स हमारे बाल के मुकाबले करीब 30 गुना महीन होते हैं, जिनके शरीर के अंदर जाने से सांस संबंधी और दिल संबंधी बीमारियों का भी खतरा होता है.

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कैसे किया गया अध्‍ययन?

सेंटर फॉर क्रॉनिक डिजीज कंट्रोल, नई दिल्ली (CCDC) के शोधकर्ताओं की अगुवाई में टीम ने 2010 से 2017 तक दिल्ली और चेन्नई के 12,000 से अधिक महिला-पुरुषों का मूल्यांकन किया. इस दौरान समय-समय पर इनका ब्लड शुगर लेवल चेक किया गया. साथ ही ये भी देखा गया कि इस दौरान पॉल्‍यूशन का लेवल कैसा रहा.

रिसर्च टीम में पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (नई दिल्ली), हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, एमोरी यूनिवर्सिटी (US), ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS, Delhi), और मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन, चेन्नई के शोधकर्ता भी शामिल थे.

स्‍टडी का रिजल्‍ट क्‍या आया?

शोधकर्ताओं ने पाया कि पॉल्‍यूशन के दिनों में ब्लड शुगर लेवल बढ़ा हुआ था. 1 साल तक लगातार पॉल्‍यूशन के दायरे में रहने से शुगर का खतरा 22% तक बढ़ गया. स्टडी का हिस्सा रहे सिद्धार्थ मंडल के अनुसार, वे लोग ज्‍यादा डायबिटीज प्रोन पाए गए, जिनका वजन अधिक बढ़ा हुआ था. शोधकर्ताओं के अनुसार, डायबिटीज की एक वजह बदली लाइफस्‍टाइल भी मानी जा रही है.

हमें क्‍यों सावधान रहना चाहिए?

भारत दुनिया के सबसे ज्‍यादा वायु प्रदूषण वाले देशों में शामिल है. राजधानी दिल्ली, गाजियाबाद, मुंबई, चेन्नई, आगरा, कानपुर, पटना समेत कई ऐसे शहर हैं, जहां प्रदूषण का स्‍तर बहुत ज्यादा है. सर्दियां शुरू होते ही जब कुहासा बढ़ने लगता है, तब वायु प्रदूषण और ज्‍यादा गंभीर हो जाता है. इन वजहों से एक्‍सपर्ट्स सतर्क रहने, मास्‍क का इस्‍तेमाल करने और प्रदूषण से बचने की सलाह देते हैं.

देश में पहले से ही हाइपरटेंशन, डायबिटीज और दिल संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों की ज्‍यादा संख्‍या है. इसी साल जून में प्रकाशित लैंसेट की स्‍टडी में दावा किया गया था कि देश की 11% आबादी डायबिटीज से पीड़ित है. इनके अलावा 13 करोड़ से ज्यादा लोग प्री-डायबिटिक स्टेज में हैं.

डायबिटीज पीड़ित की बात करें तो चीन के बाद, भारत दूसरे नंबर पर है. तीसरे नंबर पर अमेरिका, जबकि यूरोप उसके बाद आता है. देश में शहरी इलाकों की अपेक्षा ग्रामीण इलाकों में डायबिटीज के मरीजों की संख्या कम है. इसके बावजूद दोनों क्षेत्र के लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी जाती है.

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