लीबिया में प्रोडक्शन और एक्सपोर्ट को डिस्टर्ब करने वाले विवाद के हल होने की गुंजाइशों के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त गिरावट देखी गई है. कच्चे तेल की कीमतें 5% गिरकर पिछले 9 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई हैं. चीन से लगातार घटती डिमांड के बाद लीबिया से आई खबर ने तेल की कीमतों में गिरावट को और बढ़ा दिया.
ब्रेंट क्रूड वायदा करीब 5% की गिरावट के साथ 73.13 डॉलर/बैरल तक फिसल गया, जो दिसंबर के बाद का सबसे निचला स्तर है. इस साल (2024 में) तेल की कीमतों में अब तक की बढ़त पूरी तरह खत्म हो गई. WTI क्रूड भी 70 डॉलर/बैरल के नीचे फिसल गया है.
मंदी के पीछे की क्या है वजहें?
'लीबिया संकट' टलने से बाजार में ज्यादा तेल उपलब्ध होने की संभावना की खबर से पहले इस भरोसे के साथ कीमतों में गिरावट आई थी कि कच्चे तेल का सबसे ज्यादा आयात करने वाले देश चीन में आर्थिक सुस्ती के चलते मांग में कमी आई है.
अमेरिका में अगस्त का मैन्युफैक्चरिंग डेटा भी कमजोर आया है. इससे पहले भी ये लगातार कम होता रहा, जो कि आर्थिक सुस्ती गहराने के संकेत है. ऐसे में वहां तेल का इंपोर्ट कम होने की संभावना है. विश्लेषकों के मुताबिक, चीन, यूरोप या उत्तरी अमेरिका में इंपोर्ट की मांग में किसी भी तेजी के संकेत नहीं मिलते हैं.
OPEC+ ने साल 2022 की मीटिंग में ही तय किया था कि वे कच्चे तेल का प्रोडक्शन बढ़ाएंगे, लेकिन अब तक हुई मीटिंग्स में इस बारे में फैसला नहीं लिया गया. अब अगले महीने होने वाली मीटिंग में 1,80,000 BPD तक तेल उत्पादन बढ़ाने पर फैसला संभावित है.
लीबिया समझौता बेहद अहम
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, लीबिया में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNSMIL) ने कहा कि संकट हल करने में मदद करने के लिए त्रिपोली में बातचीत के बाद प्रतिद्वंद्वी लीबियाई गुटों के बीच 'महत्वपूर्ण' समझौता हुआ है.
UNSMIL ने कहा कि दोनों पक्ष मसौदा समझौते (Draft Agreement) की समीक्षा करने, इसे अंतिम रूप देने हस्ताक्षर करने पर सहमत हुए हैं.
लीबिया के केंद्रीय बैंक के गवर्नर सादिक अल-कबीर ने कहा कि विवाद को सुलझाने और तेल उत्पादन को फिर से शुरू करने के लिए एक समझौता संभावित है.
इससे पहले लीबियाई तेल निर्यात रोक दिया गया था और उत्पादन में भी कटौती की गई थी.