चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए इंडिया ओनरशिप ट्रैकर (India Ownership Tracker) के अनुसार, NSE लिस्टेड कंपनियों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की होल्डिंग लगातार पांचवीं तिमाही में घटकर 12 साल के निचले स्तर 17.6% पर आ गई है. हालांकि, SIP इनफ्लो जारी रहने से डोमेस्टिक म्यूचुअल फंडों की होल्डिंग बढ़कर 9.2% के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया.
विदेशी निवेशकों से डोमेस्टिक MFs में शिफ्ट होने वाले फंड्स
निफ्टी 500 के एनालिसिस के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की होल्डिंग लगातार कम होती जा रही है. जो तिमाही आधार पर इसमें 24 बेसिस पॉइंट्स यानी 0.24% की कमी आई है और ये गिरकर 18.7% हो गई है. हालांकि NSE में लिस्टेड सभी कंपनियों में उनकी होल्डिंग तिमाही आधार पर 28 बेसिस प्वाइंट यानी 0.28% गिरकर 17.6% पर आ गई है.
ये गिरावट लगातार पांचवीं तिमाही दर्ज की गई है. इससे ये भी पता चलता है कि मौजूदा कारोबारी साल की पहली तिमाही में पहले दो महीनों में फॉरेन कैपिटल की ज्यादा निकासी हुई है. हालांकि निफ्टी-50 कंपनियों में FPI की ओनरशिप 15 बेसिस पॉइंट्स बढ़ी है.
डोमेस्टिक म्यूचुअल फंड की हिस्सेदारी की बात करें तो ये निफ्टी 50, निफ्टी 500 और NSE में लिस्टेड कंपनियों में क्रमश; 11.1%, 9.6% और 9.2% के नए ऑल टाइम हाई पर पहुंच गई है. DMFs ने जून तिमाही में भारतीय इक्विटी में 1.3 लाख करोड़ रुपये डाले है.
FPI (फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स)
एनालिस्टों से संकेत मिलता है कि FPI निवेशकों को फाइनेंशियल सेक्टर की कंपनियां पसंद है, विशेष रूप से इस सेक्टर की बड़ी कंपनियां. वे टेलीकॉम कंपनियों पर भी पॉजिटिव है, ये हाल ही में टैरिफ बढ़ोतरी के कारण है. अन्य क्षेत्रों में, वे इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी और हेल्थकेयर पर थोड़े नेगेटिव है, और एनर्जी पर न्यूट्रल.
डोमेस्टिक म्यूचुअल फंड
डोमेस्टिक म्यूचुअल फंडों के लिए प्राथमिकताएं भी करीब-करीब FPI जैसी ही हैं. क्योंकि वे फाइनेंशियल कंपनियां पर ओवरवेट है, और हेल्थकेयर पर ओवरवेट के घटाया है.
अन्य क्षेत्रों में, इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी और टेलीकॉम पर अपना रुख न्यूट्रल रखा है.