Awfis Space Solutions IPO: आज से खुला इश्यू, पैसा लगाएं या नहीं?

कंपनी ने IPO का प्राइस बैंड 364-383 रुपये/ शेयर का रखा है. इसमें 39 शेयर का लॉट साइज होगा. कंपनी की लिस्टिंग BSE और NSE में होगी.

Source: Company website

Awfis स्पेस सॉल्यूशंस IPO आज यानी 22 मई से रिटेल निवेशकों के लिए खुल गया है. कंपनी ने IPO के जरिए 598.93 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. इसमें 128 करोड़ रुपये का फ्रेश इश्यू और ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए 1.23 करोड़ इक्विटी शेयर बेचे जाएंगे.

कंपनी ने IPO का प्राइस बैंड 364-383 रुपये/ शेयर का रखा है. इसमें 39 शेयर का लॉट साइज होगा. कंपनी की लिस्टिंग BSE और NSE में होगी.

IPO की जानकारी:

  • निवेश की तारीख: 22 मई से 27 मई

  • प्राइस बैंड: 364-383 रुपये/ शेयर

  • लॉट साइज: 39 शेयर

  • इश्यू साइज: 598.93 करोड़ रुपये (128 करोड़ रुपये का फ्रेश इश्यू + 470.93 करोड़ रुपये का OFS)

  • लिस्टिंग: BSE और NSE

कहां होगा पैसे का इस्तेमाल?

IPO के जरिए मिलने वाले पैसे से कंपनी 42.03 करोड़ रुपये कैपिटल एक्सपेंडिचर पर करेगी. इसके जरिए कंपनी नए सेंटर स्थापित करेगी.

बाकी 54.37 करोड़ रुपये कैपिटल की जरूरतों को पूरा करने और दूसरे काम में लगाए जाएंगे.

कंपनी का बिजनेस

Awfis वर्कस्पेस सॉल्यूशन उपलब्ध कराती है. कंपनी स्टार्टअप ऑफिस स्पेस, SME एंटरप्राइज, बड़े कॉरपोरेट और MNCs के लिए फ्लेक्सिबल डेस्क से लेकर कस्टमाइज्ड ऑफिस स्पेस तक उपलब्ध कराती है.

भारत के 16 शहरों में कंपनी के 169 सेंटर हैं. इसमें कंपनी के पास 53.3 लाख वर्ग फीट का चार्जेबल एरिया है.

कंपनी फ्लेक्सिबल वर्कस्पेस सॉल्यूशन उपलब्ध कराती है. इसमें एक सीट से लेकर कई सीट, एक घंटे की मीटिंग से लेकर कई साल के लिए मीटिंग करने की सुविधा है.

कंपनी ने अपने वर्कस्पेस की सोर्सिंग और प्रोक्योरिंग के मॉडल को 2 भाग में बांटा है. इसमें स्ट्रेट लीज (SL) मॉडल और मैनेज्ड एग्रीगेशन (MA) मॉडल है.

31 दिसंबर 2023 तक जानकारी के मुताबिक, कंपनी का MA मॉडल कुल बिजनेस का 66.43% हिस्सा है.

बड़े रिस्क

  • कंपनी घाटे में है. EPS घाटे में और नेट वर्थ पर रिटर्न भी नुकसान में है. कंपनी को अपने खर्चे मैनेज करने के साथ मुनाफे में आना बाकी है.

  • कंपनी का कैश फ्लो निगेटिव है और आने वाले भविष्य में भी ऐसा जारी रह सकता है.

  • ग्लोबल इकोनॉमी या भारत में स्लोडाउन से कंपनी के बिजनेस पर असर पड़ेगा. ये कंपनी के ओवरऑल बिजनेस, वर्कस्पेस की डिमांड पर असर डाल सकता है.

  • कंपनी को अपने बिजनेस में कंपटीशन झेलना पड़ रहा है. ये कंपनी के बिजनेस और भविष्य में ग्रोथ पर असर डाल सकता है.

  • कंपनी के पास ज्यादा कैपिटल एक्सपेंडिचर और उसकी जरूरते हैं, जिसके लिए कंपनी को फाइनेंसिंग की जरूरत पड़ सकती है. ये कंपनी के ऑपरेशन, कैश फ्लो और फाइनेंशियल कंडीशन को प्रभावित कर सकता है.

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