निफ्टी 50 (Nifty 50) अभी सालाना आधार पर 15% की तेजी के साथ ट्रेड कर रहा है. लेकिन पिछले महीने इसमें गिरावट देखने को मिली है. NDTV Profit की ओर से इकट्ठा किए गए डेटा के मुताबिक निफ्टी 50 के करीब 40% शेयर करेक्शन मोड में हैं, यानी उनमें गिरावट दिख रही है.
बेंचमार्क निफ्टी-50, 27 सितंबर को 26,277.35 की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था. उसके बाद इस माइलस्टोन से 5% की गिरावट देखने को मिली है.
निफ्टी 50 में कितनी गिरावट आई?
हालांकि निफ्टी 50 में पिछले नौ कारोबारी दिनों से सिर्फ 5% की करेक्शन आई है, मगर इंडेक्स के कई दिग्गज पहले ही करेक्शन मोड में जा चुके हैं. करीब 20 शेयरों में 10% का करेक्शन आया है, जबकि पांच शेयरों में उनकी 52 हफ्ते की ऊंचाई से 15% से ज्यादा का करेक्शन देखने को मिला है.
इंडेक्स में मौजूद टेक शेयरों में सबसे कम करेक्शन आया है. इसमें TCS अपवाद है. दिग्गज टेक कंपनी में रिकॉर्ड ऊंचाई से करीब 10% का करेक्शन देखने को मिला है. हाल ही में दूसरी तिमाही के निराशाजनक आंकड़ों से भी रिकवरी नहीं आई. हालांकि इस सेक्टर में खरीदारी हुई है.
क्या हैं करेक्शन की वजहें?
पिछले 10 कारोबारी दिनों में अब तक विदेशी निवेशकों ने 62,876 करोड़ रुपये की बिकवाली की है. जबकि DIIs की अगुवाई में म्यूचुअल फंड्स ने 64,438 करोड़ रुपये की खरीदारी की है.
विदेशी निवेशकों ने बड़े फ्रंटलाइन कंपनियों के शेयर बेचे हैं. इनमें टाटा मोटर्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज, ONGC और टाटा स्टील सबसे आगे हैं. इसके अलावा HDFC बैंक, ICICI बैंक और एक्सिस बैंक जैसे बैंकिंग शेयरों में भी भारी बिकवाली रही है.
भारतीय बाजारों में कुछ ग्लोबल अड़चनें हैं. इनमें पश्चिम एशिया का संकट भी शामिल है, जिससे ऑयल सप्लाई को लेकर चुनौती आ सकती है और तेल कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.
दूसरे जोखिमों में चीन का स्टिम्युलस शामिल है, जिससे फॉरेन फंड का आउटफ्लो बढ़ सकता है. जापानी रेट साइकिल में सख्ती से भी चिंता बढ़ सकती है. इन कारणों से पिछले 10 दिनों में फॉरेन फंड्स की ओर से प्रॉफिट बुकिंग और आउटफ्लो देखने को मिला है.
घरेलू फंड्स ने बाजार में समान राशि में निवेश किया है. लेकिन ये निवेश बेहतर अर्निंग्स विजिबिलिटी वाली कंपनियों और क्षेत्रों की ओर मुड़ गया है.