मार्केट की अफवाहों की पुष्टि-खंडन से जुड़े नियमों के लिए CII ने जारी किए नियम

CII के नए फ्रेमवर्क में बताया गया है कि किन परिस्थितियों में कंपनियों को अफवाहों पर प्रतिक्रिया देनी होगी.

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अफवाहों के चलते शेयर मार्केट पर पड़ने वाले असर से निपटने के लिए मार्केट रेगुलेटर SEBI ने 21 मई को गाइडलाइंस जारी की थी कि कंपनियों को 24 घंटे के भीतर अफवाह की पुष्टि या खंडन करना होगा. अब SEBI की सलाह पर इंडियन इंडस्‍ट्री कन्‍फेडरेशन (CII) ने कंपनियों के लिए इस संबंध में स्‍टैंडर्ड्स नोटिफाई किया है.

नए फ्रेमवर्क में बताया गया है कि किन परिस्थितियों में कंपनियों को अफवाहों पर प्रतिक्रिया देनी होगी. इसमें कहा गया है कि

  • कंपनियों को केवल मेनस्‍ट्रीम न्‍यूज मीडिया पर चल रही अफवाहों की पुष्टि या खंडन करना होगा, न कि किसी न्‍यूज एग्रीगेटर्स या फिर सोशल मीडिया में चल रही अफवाहों पर.

  • कंपनियों को केवल उन्‍हीं अफवाहों पर जवाब देना होगा, जिससे शेयर प्राइस पर बड़ा असर हुआ हो. यानी शेयर में उतार-चढ़ाव हुआ हो.

  • कंपनियों को M&A और नॉन M&A अफवाहों को लेकर उड़ी अफवाहों पर सफाई देना जरूरी होगा.

  • व्हिसिलब्लोअर की जांच या शिकायतों पर भी कंपनियों को प्रतिक्रिया देनी होगी.

  • अगर डील में प्रोमोटर शामिल हों तो, उनसे जुड़ी लेनदेन की अफवाह पर भी प्रतिक्रिया देनी होगी.

मेनस्‍ट्रीम मीडिया प्‍लेटफॉर्म

  • CII के मुताबिक, मेनस्‍ट्रीम मीडिया प्लेटफॉर्म में इकोनॉमिक टाइम्स, बिजनेस स्टैंडर्ड, लाइव मिंट, फाइनेंशियल एक्सप्रेस और हिंदू बिजनेस लाइन जैसे समाचार पत्र और इनके डिजिटल वेबसाइट्स भी शामिल हैं.

  • इनके अलावा ब्लूमबर्ग, BQ प्राइम (अब NDTV Profit), मनी कंट्रोल, बिजनेस टुडे, बिजनेस वर्ल्ड, रॉयटर्स, रॉयटर्स इंडिया और प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया जैसे कुछ डिजिटल न्‍यूज सोर्स शामिल हैं.

  • इसमें सूचना और प्रसारण मंत्रालय के साथ पंजीकृत कई अंग्रेजी और लोकल बिजनेस न्यूज चैनल भी शामिल हैं.

  • इनमें CNBC TV-18, ET Now, NDTV Profit, CNBC Awaaz, ET Now Swadesh, Zee Business और CNBC Bazaar शामिल हैं. उनकी वेबसाइट्स भी इस सिस्‍टम के अंतर्गत आती हैं.

थोड़ा और विस्‍तार से समझ लीजिए

  • CII ने कहा है, 'यदि प्रमोटर से जुड़ी लेन-देन के बारे में कोई अफवाह है, तो कंपनियों को इसे वेरिफाई करना होगा और जरूरी खुलासे भी करने चाहिए.'

  • जहां डील की डिटेल्‍स को अंतिम रूप नहीं दिया गया है, वहां कंपनियां खुलासा किए बिना सामान्‍य स्‍टेटमेंट दे सकती हैं.

  • हालांकि, एडवासं स्‍टेजेस में, जहांं डिटेल्‍स क्लियर हों, उन्‍हें स्‍टेटस के आधार पर ज्‍यादा जानकारी के साथ अफवाहों की पुष्टि या खंडन करना जरूरी होगा.

  • ऐसी परिस्थितियों में, जहां कोई कंपनी सीधे तौर पर शामिल नहीं है, या फिर संबंधित डील या अधिग्रहण के बारे में नहीं जानती है, उसे अफवाह की पुष्टि या खंडन करने की जरूरत नहीं होगी. इसके बजाय, कंपनी ये बता सकती है कि उसके पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है.

  • इसमें कहा गया है कि अगर डील में कंपनी का प्रमोटर शामिल है, तो कंपनी को अफवाह के बारे में प्रमोटर से जांच करनी चाहिए. प्रमोटर से कंपनी को जो जानकारी मिलेगी, उसका खुलासा करना होगा.

  • हालांकि, स्पष्टीकरण मांगने की ये बाध्यता कंपनी के प्रमोटर से जुड़ी डील्‍स तक ही सीमित है, किसी थर्ड पार्टी या पब्लिक शेयरहोल्‍डर्स के संबंध में नहीं.

बता दें कि अफवाहों की पुष्टि या खंडन से जुड़े ये नियम 1 जून से टॉप 100 लिस्टेड कंपनियों पर लागू होंगे, जबकि दिसंबर 2024 से अगली 150 कंपनियों पर लागू होंगे. यानी कुल 250 कंपनियों पर ये नियम लागू होंगे.

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