Exclusive: F&O नियमों को SEBI बोर्ड से मंजूरी की जरूरत नहीं, जल्द होंगे जारी

मार्केट रेगुलेटर ने सर्कुलर जारी करने के लिए ड्राफ्ट कंसल्टेशन पेपर पेश किया था. ड्राफ्ट सर्कुलर को लोगों की प्रतिक्रिया और हितधारकों के फीडबैक के लिए रखा गया था.

Source: NDTV Profit

सोमवार को हुई सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की बैठक में फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (F&O) में ट्रेडिंग के नियमों को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई. ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि बोर्ड एक्सपर्ट वर्किंग कमिटी और सेकेंडरी मार्केट एडवाइजरी कमिटी की सिफारिशों को मंजूरी दे देगा, जिनमें रिटेल इंडीविजुअल डेरिवेटिव ट्रेडर्स के लिए घाटे को रोकने के लिए नियमों को सख्त बनाने की मांग की गई थी.

ड्राफ्ट सर्कुलर को फीडबैक के लिए रखा गया था

मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के मुताबिक मार्केट रेगुलेटर ने सर्कुलर जारी करने के लिए ड्राफ्ट कंसल्टेशन पेपर पेश किया था. ड्राफ्ट सर्कुलर को लोगों की प्रतिक्रिया और हितधारकों के फीडबैक के लिए रखा गया था. व्यक्ति ने बताया कि सर्कुलर के लिए बोर्ड से मंजूरी की जरूरत नहीं पड़ती है.

सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया फीडबैक का असेसमेंट पूरा होने के बाद सर्कुलर को नोटिफाई करेगा. नोटिफिकेशन के समय को लेकर जानकारी नहीं मिल पाई है. मार्केट रेगुलेटर की ओर से एक बार नोटिफिकेशन जारी होने के बाद स्टॉक एक्सचेंजेज चरणबद्ध तरीके से सर्कुलर को लागू करना शुरू कर देंगे.

रेगुलेटर ने कंसल्टेशन पेपर सर्कुलर जारी करने के लिए पेश किया था. ये सर्कुलर निवेशकों की सुरक्षा बढ़ाने और बाजार में स्थिरता के लिए इंडेक्स डेरिवेटिव्स फ्रेमवर्क को मजबूत बनाने के कदमों से जुड़ा है. उसने ड्राफ्ट सर्कुलर पर प्रतिक्रियाएं मांगीं थीं.

ड्राफ्ट सर्कुलर में ये प्रस्ताव

  • ऑप्शंस के लिए स्ट्राइक प्राइस को तर्कसंगत बनाया जाएगा.

  • स्ट्राइक इंटर्वल प्रिवेलिंग इंडेक्स प्राइस के करीब यूनिफॉर्म रहेगा (प्रिवेलिंग प्राइस के करीब 4%) और प्रिवेलिंग प्राइस से आगे जाने पर इंटरवल बढ़ेगा.

  • सदस्य क्लाइंट्स से सीधे ऑप्शंस प्रीमियम कलेक्ट करेंगे.

  • वीकली ऑप्शंस की एक्सचेंजेज के बेंचमार्क इंडेक्स पर इजाजत होगी.

  • कैलेंडर स्प्रैड पोजिशन के लिए मार्जिन बेनेफिट उन पोजिशंस के लिए उपलब्ध नहीं किया जाएगा जिनमें उसी दिन एक्सपायर हो रहा कोई भी कॉन्ट्रैक्ट शामिल है.

  • इंडेक्स डेरिवेटिव्स के लिए कॉन्ट्रैक्ट साइज में चरणबद्ध तरीके से बढ़ोतरी की जाएगी. पेश होने के समय ये 15-20 लाख रुपये और छह महीने के बाद 20-30 लाख रुपये होगा.

  • एक्सचेंज के सिंगल बेंचमार्क इंडेक्स पर वीकली ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स उपलब्ध किए जाएंगे.

  • एक्सट्रीम ग्रॉस मार्जिंस में बढ़ोतरी. E-1 पर 3% और एक्सपायरी के दिन पर अतिरिक्त 5% का इजाफा होगा.

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